दुनिया में Ease Of Doing Buisness वह पैरामीटर है जिससे प्रभावित होकर ग्लोबल कम्पनियाँ दूसरे देशों में निवेश करती हैं, वहां पर ब्यापार शुरू करती हैं, वहां की आर्थिक गति में शामिल होकर वहां के लोगों को रोजगार और टैक्स देती हैं.
अगर Ease Of Doing Buisness में नंबर सही है तभी विदेशी कंपनियां भारत में आती हैं, विदेशी कंपनियों के आने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढती है और ग्राहकों को सस्ती चीजें मिल पाती हैं, वरना एक कंपनी का बर्चस्व होने से वह उत्पादों को मुंहमांगी कीमतों में बेचती हैं और ग्राहकों को मंहगाई का कष्ट झेलना पड़ता है.
कांग्रेस ने Ease Of Doing Buisness में भारत को 142 नंबर पर छोड़ा था, भारत की हालत बहुत खराब थी, दुनिया की कंपनियां भारत को थर्ड क्लास का देश समझती थीं, भारत में बिजनेस करना बहुत मुश्किल था इसलिए विदेशी निवेश नहीं आ रहा था.
मोदी सरकार आने के बाद कई आर्थिक सुधार किये गए, पहले साल Ease Of Doing Buisness में 12 अंकों का सुधार आया और भारत 130वें नंबर पर पहुंचा, दूसरे साल भी वही हालत रही लेकिन तीसरे साल मोदी सरकार ने बहुत बड़े सुधार किये, नोटबंदी करके कालाधन समाप्त किया और उसके बाद GST लागू करके टैक्सेशन सिस्टम में सुधार किया, दोनों सुधार दुनिया के अब तक के सबसे बड़े सुधर हैं.
इन दोनों सुधारों का फायदा यह हुआ कि भारत ने एक ही साला में 30 अंकों का जम्प लगा दिया, आज तक किसी भी देश से एक साल में इतना बड़ा जम्प नहीं लगाया है लेकिन भारत ने यह करके दिखा दिया. इस वर्ष भारत की रैंकिंग 100 पहुँच गयी है लेकिन अगले वर्ष इसमें और तेजी से सुधार आएगा क्योंकि नोटबंदी और GST का फायदा तो अब शुरू हुआ है.
Ease Of Doing Buisness से कैसे बढेगा रोजगार
Ease Of Doing Buisness में रैंकिंग बढ़िया होती है तो विदेशी कंपनी निवेश के लिए आती हैं, उद्योग लगाती हैं, युवाओं को रोजगार देती हैं, भारतीय सिस्टम के अनुसार चलती हैं, वर्करों को पूरी सैलरी मिलती है, सरकार को पूरा टैक्स मिलता है. हर काम लीगल होते हैं जबकि देसी कंपनियां अधिकतर टैक्स चोरी करती हैं, कम समय के लिए रोजगार देती हैं, सैलरी कम देती हैं.
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