राजस्थान में अब मीडिया सिर्फ आरोपों पर नहीं मचा पाएगा सनसनी, करना पड़ेगा सबूतों का इन्तजार

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बिना सबूतों के सनसनी फैलाने वाले मीडिया चैनलों पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान की सरकार ने क्रिमिनल लॉ में अध्याधेश की जरिये संशोधन किया है, कल अध्याधेश पेश कर दिया गया है, आज इसे विधानसभा के पटल पर भी रखा गया हालाँकि विरोधी पार्टी कांग्रेस ने इस बिल का विरोध करना शुरू कर दिया है, कांग्रेस इसे अपराधियों, भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला बिल बता रही है.

इस बिल से सबसे अधिक नुकसान बिना सबूतों के सनसनी फैलाने वाले मीडिया चैनलों को होगा, अब तक मीडिया चैनल सिर्फ आरोपों के बाद जज बन जाते थे और सनसनीखेज खबर बना देते हैं, जैसे आसाराम के केस में अब तब कोई सबूत नहीं मिले हैं लेकिन मीडिया ने पता नहीं कितनी सनसनीखेज खबर बना डाली और उन्हें बिना सबूतों के ही मीडिया ट्रायल की वजह से जेल में रहना पड़ रहा है.

बिल के अनुसार अब जजों या पूर्व जजों, सरकारी अफसरों, बाबुओं, सरपंचों के खिलाफ बिना सबूतों के आरोप लगाने वालों पर कार्यवाही होगी, यही नहीं इनके खिलाफ FIR दर्ज करने से पहले सरकार से परमिशन लेनी पड़ेगी, जांच के लिए 6 महीनें का समय दिया जाएगा और जांच में भ्रष्टाचार या अपराध के सबूत पाए जाने पर ही मामला दर्ज किया जाएगा और मीडिया को खबर दिखाने की इजाजत दी जाएगी.

मीडिया के लिए सबसे दुखद यह है कि पहले आरोप लगाए जाने के बाद ही सनसनीखेज खबर चला देते थे लेकिन अब 6 महीनें जांच का इन्तजार करना पड़ेगा.

राजस्थान सरकार द्वारा पास किये गए इस विधेयक का का नाम क्रिमिनल लॉ ऑर्डिनेंस 2017 है, इस कानून को क्रिमिनल प्रोसीडिंग कोड 1973 और इंडियन पैनल कोड 1980 में संशोधन करके बनाया गया है.
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