प्रतापगढ़-उमरी के किसान परेशान, नही है सिंचाई की व्यवस्था, नीलगायों का हमेशा रहता है आतंक

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स्वतंत्र भारत के पूर्व और स्वतंत्र भारत के पश्चात एक लम्बी अवधि बीत जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले  के किसानो की दशा में कोई परिवर्तन नही हुआ है. पूर्व सरकारों ने किसानों की मूल परेशानियों पर ध्यान नहीं दिया, ना ही सिंचाई की व्यवस्था की गयी और ना ही किसानों की आमदनी बढाने का कोई प्रयास किया गया, यही नहीं खेती को बचाने का भी कोई प्रयास नहीं किया गया.

प्रतापगढ़ जिले के गाँव उमरी-अंतू के किसान खेती से भागने को मजबूर हैं क्योंकि वहां अधिकतर जगहों पर ना ही सिंचाई की व्यवस्था है और ना ही जंगली जानवरों को रोकने का कोई सिस्टम है, नतीजा यह होता है कि मंहगे दामों में सिंचाई करके किसान फसल खड़ी करते हैं लेकिन रात में नील गाय आकर पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं. प्रतापगढ़ में झुण्ड के झुण्ड नील गाय घूमते रहते हैं और जिस खेत में लहलहाती फसल दिख जाती है ये उसे खाकर नष्ट कर देते हैं.

नील गायों के डर से अधिकतर किसान खेत खाली ही रखते हैं, लाखों किसान सिर्फ भगवान भरोसे खेती करते हैं और मन ये यही डर रहता है कि किसी ना किसी दिन नील गाय आकर उनकी फसल को नष्ट कर देंगे, इसी डर से अधिकतर लोग खेती से दूर भाग रहे हैं.

प्रतापगढ़ के उमरी गाँव में सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है, किसान नील गायों से परेशान हैं, इसी डर से लाखों एकड़ जमीन खाली पड़ी रहती है, गर्मियों में तो कोई किसान खेती करना ही नहीं चाहता क्योंकि गर्मियों में हरी हरी फसल देखकर नील गायों के मुंह में पानी आ जाता है और ये आकर उसे खा नष्ट कर देते हैं.

प्रतापगढ़ के उमरी जिले के किसानों ने योगी सरकार से मांग की है कि नील गायों को रोकने का प्रबंध किया जाय और सिंचाई की व्यवस्था की जाय, जब तक ये व्यवस्था नहीं हो जाती किसानों को कम से कम 3000 हजार रुपये हर महीनें घर चलाने के लिए दिए जाँय क्योंकि घर चलाने के लिए लोग खेती छोडकर बड़े शहरों की तरफ भागने लगे हैं, अगर सरकार से थोड़ी मदद मिल गयी तो किसान अपनी खेती छोड़कर नहीं भागेंगे और देशवासियों का पेट भरने के लिए अन्न उगाएंगे.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहाँ के किसानों के पास ना तो बिजली है, ना सिंचाई है, ये लोग मंहगी सिचाई करके फसलों को बोते हैं, मंहगी खाद डालते हैं लेकिन नील गाय आकर सब कुछ तबाह कर देती हैं, अगर सरकार नीलगायों को जंगलों में ही रोक दे या उनके लिए जंगलों में कोई व्यावस्था कर दे तो किसान खाली पड़े खेतों में गर्मियों में भी फसलें या सब्जियां पैदा कर सकेंगे और मंहगाई का अंकुश लग सकेगा.
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