गुरमीत राम रहीम पर दो महिलाओं ने चिट्ठी लिखकर रेप के आरोप लगा दिये, उनकी ना तो मेडिकल जांच हुई और ना ही कहीं अता पता है, राम रहीम को केवल हव्वा खड़ा करके 20 साल के लिए जेल भेज दिया गया, बाद में मीडिया ने उनके और उनकी दत्तक बेटी के बीच अवैध संबंधों की खबर बनाकर उन्हें बलात्कारी बाबा बता दिया लेकिन अब राम रहीम के लिए इलाहबाद हाई कोर्ट से खुश खबरी आयी है.
राम रहीम के खिलाफ पंचकूला की CBI कोर्ट ने फैसला सुनाया है और जांच भी CBI ने ही की थी, एक ऐसे ही मामले 'अरुषी-हेमराज मर्डर केस' में आज इलाहबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. अरुषी के पिता राजेश तलवार और माता नुपुर तलवार को दोहरे हत्याकांड के आरोप में गाजियाबाद की CBI कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जांच भी CBI ने की थी और चार्जशीट भी CBI ने दायर की थी लेकिन आज CBI कोर्ट के फैसले को बदलकर राजेश तलवार और नुपुर तलवार को बरी कर दिया.
अगर राम रहीम भी आरुषी-हेमराज मर्डर केस को आधार बनाकर हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर करें तो उन्हें भी सभी आरोपों से बरी किया जा सकता है क्योंकि उनके खिलाफ भी कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं, उन्हें सिर्फ दो महिलाओं की चिट्ठियों के आधार पर 20 साल की सजा सुनाई गयी है. आज भी दोनों महिलायें छुपी हुई हैं.
आरुषी-हेमराज का कब हुआ था मर्डर
राम रहीम के खिलाफ पंचकूला की CBI कोर्ट ने फैसला सुनाया है और जांच भी CBI ने ही की थी, एक ऐसे ही मामले 'अरुषी-हेमराज मर्डर केस' में आज इलाहबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. अरुषी के पिता राजेश तलवार और माता नुपुर तलवार को दोहरे हत्याकांड के आरोप में गाजियाबाद की CBI कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जांच भी CBI ने की थी और चार्जशीट भी CBI ने दायर की थी लेकिन आज CBI कोर्ट के फैसले को बदलकर राजेश तलवार और नुपुर तलवार को बरी कर दिया.
अगर राम रहीम भी आरुषी-हेमराज मर्डर केस को आधार बनाकर हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर करें तो उन्हें भी सभी आरोपों से बरी किया जा सकता है क्योंकि उनके खिलाफ भी कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं, उन्हें सिर्फ दो महिलाओं की चिट्ठियों के आधार पर 20 साल की सजा सुनाई गयी है. आज भी दोनों महिलायें छुपी हुई हैं.
आरुषी-हेमराज का कब हुआ था मर्डर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 16 मई 2008 को 14 वर्षीय आरुषी तलवार की उसके बेडरूम में हत्या कर दी गयी थी. उसका गला रेत दिया गया था और सर पर गहरे घाव के निशान थे, पुलिस ने पहले उसके दोस्त हेमराज पर शक जताया था लेकिन दूसरे ही दिन उसकी लाश भी छत से बरामद हुई थी.
पुलिस पहले से ही यह मानकर चल रही थी कि अरुषी के माता पिता ने ही उसकी हत्या की होगी, उन्होंने अपनी जांच में यही लिखा, बाद यह सीबीआई को इस केस जांच करने का आदेश दिया, उन्होंने भी अपनी जांच रिपोर्ट में दोनों को दोषी माना जिसके बाद गाजियाबाद की CBI कोर्ट ने दोनों को आजीवन कारवार की सजा सुना दी, दोनों को डासना जेल भेज दिया गया.
जेल में रहते हुए उन्होंने फिर से हाई कोर्ट में याचिका डाली, आज इस पर सुनवाई करते हुए दोनों को इस केस से बरी कर दिया गया.
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