मोदी की नोटबंदी का समर्थन करने वाले अर्थशास्त्री को मिला नॉबेल प्राइज, विरोधी को मिला तंबोरा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर 2017 को रात 8 बजे 1000 और 500 के पुरानें नोटों को बंद करने का हिला देने वाला फैसला किया था. मोदी का यह फैसला दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा फैसला कहा जाता है, भारत की गति रुक गयी, हर आदमी बैंकों के आगे लाइन में खड़ा हो गया. हर कोई अपने पुरानें नोट जमा करके नए नोट लेना चाहता था, हर कोई पुरानें नोटों से छुटकारा पाना चाहता था. पूरी दुनिया मोदी के इस फैसले से हैरान हो गयी.

समझने वालों के लिए इशारा ही काफी था, हर समझदार आदमी समझ गया कि नोटबंदी से तिजोरी और तहखानों में जमा कालाधन बाहर निकल आएगा, सरकारी खजानें में पैसा आ जाएगा, रुका हुआ पैसा वापस अर्थव्यवस्था में आ जाएगा और धीरे धीरे इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा.

शिकागो यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री और प्रोफेसर रिचर्ड एच थालर ने भी मोदी सरकार के इस फैसले की तारीफ की, उन्होंने फैसले के तुरंत बाद ट्विटर पर लिखा - मैं इस पॉलिसी का बहुत लम्बे समय से समर्थन करता हूँ, कैशलेस की तरफ जाने का पहला स्टेप है और भ्रष्टाचार ख़त्म करने का बढ़िया तरीका.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दो अर्थशास्त्री भारत में भी हैं, एक हैं मनमोहन सिंह और दूसरे हैं रघुराम राजन. मनमोहन सिंह 10 साल तक भारत के प्रधानमंत्री रहे जबकि रघुराम राजन तीन वर्षों तक RBI के गवर्नर गए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत के दोनों ही अर्थशास्त्री मोदी सरकार की नोटबंदी की आलोचना कर रहे हैं और मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ खूब बोल रहे हैं.

2017 के लिए अर्थशास्त्र में नॉबेल पुरस्कार के लिए रिचर्ड एच थालर रघुराम राजन का भी नाम भेजा गया था लेकिन पुरस्कार मिला नोटबंदी का समर्थन करने वाले अर्थशास्त्री रिचर्ड एच थालर को. विरोध करने वाले अर्थशास्त्री को तंबोरा मिला है. मतलब कुछ नहीं मिला है. दोनों ही अर्थशास्त्री अमेरिका की प्रतिष्ठित शिकागो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं लेकिन एक कांग्रेस का भक्त है जबकि दूसरा पॉजिटिव पहल कर समर्थन करने वाला अर्थशास्त्री है.
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