मशहूर अनशनकारी अन्ना हजारे ने अब मोदी सरकार के खिलाफ भी सड़क पर उतरने और आन्दोलन करने का फैसला किया है. इससे पहले अन्ना हजारे ने 2011 में भ्रष्टाचारी विरोधी आन्दोलन चलाया था जिसके समर्थन में पूरा देश उतर आया था, पिछली बार केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी लेकिन इस बार केंद्र में मोदी सरकार है. अन्ना हजाने का कहना है कि मोदी सरकार ने ना तो लोकपाल नियुक्त किया और ना ही भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए कोई कदम उठाया.
अन्ना हजारे ने कल दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में एक प्रेस मीटिंग के दौरान कहा कि मोदी सरकार ना तो कालाधन ला पायी और ना ही स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू कर रही है, सभी वादे अधूरे हैं, लोकपाल की नियुक्ति के बजाय लोकपाल एक्ट 2013 को और कमजोर कर दिया गया है. इसलिए अब एक और आन्दोलन की जरूरत है क्योंकि 2011 के आन्दोलन के दौरान मेरों मांगों को आज तक पूरा नहीं किया गया है.
उन्होंने सभी समर्थकों को रालेगांव सिद्धि में उनके निवास पर आकर आगे की रूप देखा बनाने की अपील की है, उन्होंने कहा कि यह आन्दोलन इसी वर्ष के अंत में या अगले वर्ष के शुरुआत में किया जाएगा.
उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को इस आन्दोलन से दूर रहने की चेतावनी दी है. उन्होंने किरण बेदी और वीके सिंह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इन लोगों ने अपने फायदे के लिए बीजेपी ज्वाइन कर लिया.
अनशन बाज़ अन्ना जी, 2011 वाले अनशन पर इतना मत इतराओ, उसी सफलता में मोदी जी का हाथ था, जो भीड़ देखि थो वो सब मोदी जी के समर्थक थे.उसके बाद 2014 में आपने ममता बेनर्जी के समर्थन में दिल्ली में रैली की थी सिर्फ 20 लोग आए थे, वो भी माइक, कुर्सियां और शामियाने वाले थे ! आपको जब पता चला की लोग आये ही नहीं तब आप उस मीटिंग में नहीं आये और पञ्च तारा होटल से ही वापस चले गए रालेगांव ! अब बुढ़ापे में अपनी फजीयत मत करवाओ, आराम करो, मोदी जी सही काम कर रहे है,
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