योगी से नाराज हो गए हैं UP के सभी ग्राम प्रधान, क्योंकि लूट के सभी रास्ते बंद, सबका खेल ख़त्म

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिस्टम में सुधार शुरू कर दिया है. मोदी की तरह योगी भी 'ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा' की रणनीति पर चल रहे हैं. योगी सरकार ने सिस्टम को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना शरू कर दिया है. सभी की सभी स्कीमें आधार कार्ड और बैंकों से जोड़ दी गयी हैं इसलिए अब दलालों और अधिकारियों के लूट के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं.

योगी सरकार की वजह से सबसे अधिक नुकसान उत्तर प्रदेश के हजारों ग्राम प्रधानों, ब्लॉक सेक्रेटरी, ब्लॉक प्रमुखों और BDS नेताओं को हुआ है क्योंकि इनके लूट के सभी रास्ते बंद हो गए हैं. अब तक जितनी भी योजनायें होती थीं, उनके लिए जितना भी पैसा आता था, ये उसे आपस में मिल बांटकर खा जाते थे, सड़क बनाने के लिए पैसा आया तो उसे चट कर जाते थे, स्कूल बनाने के लिए पैसा आया तो उसे चट कर जाते थे, गरीबों के लिए पैसा आया तो उनके पास पहुँचने से पहले ही आपस में बाँटकर चट कर जाते थे, विधवाओं के लिए पैसा आया तो उसे खा जाते थे, सिंचाई के लिए पैसा आया तो उसे चट कर जाते थे, टॉयलेट के लिए पैसा आया तो उसे चट कर जाते थे, मनरेगा के लिए पैसा आया, वृद्धों के लिए पैसा आया तो उसे लूट लेते थे, मिड-डे मील का पैसा आया तो उसे लूट लेते थे, सब कुछ लूट लेते थे.

कहने का मतलब है कि गाँवों में विकास के लिए राज्य सरकार के खजाने से हर साल करोड़ों रुपये आते थे, यह पैसा ग्राम प्रधान और ब्लॉक सेक्रेटरी के जॉइंट अकाउंट में आता था और दोनों लोग मिलकर पूरा का पूरा रूपया लूट लेते थे लेकिन अब उनकी लूट बंद हो गयी है क्योंकि सारा का सारा काम ऑनलाइन हो रहा है. ऑनलाइन टेंडर दिए जा रहे हैं, गरीबों की सब्सिडी सीधा बैंकों में आ रहीए है, हर योजना आधार से जोड़ दी गयी है जिसकी वजह से एक आदमी का दो योजनाओं में पैसा कमाना बंद हो गया है क्योंकि आधार कार्ड मैच करने पर वे पकडे जा रहे हैं, इसी तरह से मनरेगा का पैसा सीधा मजदूरों के बैंक खाते में आ रहा है, कमीशनखोरी, दलाली और भ्रष्टाचार बंद हो रहा है.

इसके अलावा अब योगी सरकार यह भी जांच कर रही है कि ग्राम प्रधानों को पिछली सरकार के समय में कितना पैसा मिला था और उन्होंने कितना काम करवाया है. जिन प्रधानों ने पैसा लूटा है उनसे वसूला जा रहा है, योगी सरकार के इस कदम से ग्राम प्रधानों में हडकंप मचा हुआ है, सभी के सभी योगी और मोदी सरकार की बुराई कर रहे हैं, अगली बार उनकी हार की दुवा कर रहे हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले ग्राम प्रधान के चुनाव में शहरों की तरह प्रचार हुआ था, सभी के सभी ग्राम प्रधानों ने लाखों रुपये अपने प्रचार पर खर्च कर दिए, इन्होने सोचा था कि प्रधान बनने के बाद करोड़ों रुपये कमा लेंगे, खजाना लूट लेंगे लेकिन इनका सपना टूट गया क्योंकि अब लूटने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं. अब जितना पैसा दिया जा रहा है उतने का काम भी देखा जा रहा है. सभी ग्राम प्रधान के कामों की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गयी है.

कुल मिलाकर देखने पर ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में नायक फिल्म की शूटिंग चल रही है. एक बार ग्राम प्रधानों की लूट बंद कर दी गयी तो गाँवों का तेजी से विकास होगा, गाँव भी शहर की बराबरी कर सकेंगे, अभी तक तो सारा पैसा ग्राम प्रधान ही लूट लेते थे लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर पाएंगे, कम से कम तब तक तो नहीं कर पाएंगे जब तक यूपी में योगी सरकार रहेगी.
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