कुछ लोगों का कहना है कि मोदी सरकार में रोजगार ख़त्म हो गए हैं, हर युवा बेरोजगार घूम रहा है, छोटे उद्योग बंद हो गए हैं, जबकि ऐसा नहीं है, आज भी हर कोई रोजगार कर रहा है, करोड़ों लोग ऐसे टैक्स-चोरों के यहाँ नौकरी करते हैं तो टैक्स-चोरी के चक्कर में अपने कर्मचारियों का रिकॉर्ड ही मेन्टेन नहीं करते, उन्हें सरकारी ग्रेड के तहत सैलरी ही नहीं देते इसलिए वे लोग नौकरी करते हुए भी बेरोजगार हैं लेकिन GST आने की वजह से टैक्स-चोर व्यापारियों के तोते उड़े हुए हैं क्योंकि अब उन्हें टैक्स देने के साथ साथ अपने कर्मचारियों का रिकॉर्ड भी सरकार को देना होगा और उन्हें सरकारी ग्रेड के अनुसार सैलरी भी देनी पड़ेगी.
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि मोदी सरकार ने रोजगार नहीं पैदा किया, ऐसे लोग सिरफिरे हैं या उनका दिमाग खराब हो गया है, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में 1 लाख लोगों को जॉब मिलेगी, रोड कंस्ट्रक्शन में लाखों लोगों को जॉब मिल रहा है, मुद्रा योजना के जरिये 8 करोड़ लोगों को रोजगार के लिए धन दिया है. 8 करोड़ लोगों को रोजगार के लिए धन देने का मतलब है उतना ही रोजगार पैदा किया है क्योंकि जितने भी लोग रोजगार के लिए पैसा ले रहे हैं वे कई लोगों को रोजगार देते हैं.
मतलब मोदी सरकार में रोजगार ही रोजगार हैं लेकिन किसी को दिखाई नहीं दे रहा है, कम से कम आलोचना करने वालों ने तो अपनी ऑंखें बंद कर रखी हैं, इसके अलावा भारत में करोड़ों लोग ऐसे भी हैं जिन्हें दुकानदार और छोटे व्यापारी अपने यहाँ काम पर तो रखते हैं, उन्हें सैलरी भी देते हैं लेकिन उसका रिकॉर्ड सरकार से छुपा लेते हैं जिसकी वजह से वे नौजवान रोजगार करते हुए भी बेरोजगार रहते हैं लेकिन GST के आने से अब ऐसे लोगों को अपने सभी कर्मचारियों का नाम सरकार को देना होगा जिसके बाद ऐसे लोग बेरोजगार से खुद ही रोजगार में आ जाएंगे।
कहने का मतलब ये है भारत में करोड़ों लोगों के पास रोजगार होते हुए भी वे सरकार के रिकॉर्ड में बेरोजगार है. क्योंकि उसका नाम सरकार की नजर से छुपा लिया जाता है, कई लोगों के पास 50 से भी अधिक लोग काम करते हैं लेकिन वे सरकार से यह सूचना छुपा लेते हैं, अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो सबका ESI कार्ड या मेडिक्लैम बनवाना पड़ेगा और उन्हें सरकारी ग्रेड के अनुसार सैलरी भी देनी पड़ेगी इसलिए वे सरकार से बताते ही नहीं हैं कि उनके पास दर्जनों लोग काम करते हैं. इसी प्रकार से करोड़ों लोग इन-फॉर्मल सेक्टर में काम करते हैं लेकिन वे सरकार की नजर में बेरोजगार हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा, अब सभी व्यापारियों और उद्योगपतियों को GST करवाना ही पड़ेगा और कर्मचारियों का डिटेल देना ही पड़ेगा।
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि मोदी सरकार ने रोजगार नहीं पैदा किया, ऐसे लोग सिरफिरे हैं या उनका दिमाग खराब हो गया है, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में 1 लाख लोगों को जॉब मिलेगी, रोड कंस्ट्रक्शन में लाखों लोगों को जॉब मिल रहा है, मुद्रा योजना के जरिये 8 करोड़ लोगों को रोजगार के लिए धन दिया है. 8 करोड़ लोगों को रोजगार के लिए धन देने का मतलब है उतना ही रोजगार पैदा किया है क्योंकि जितने भी लोग रोजगार के लिए पैसा ले रहे हैं वे कई लोगों को रोजगार देते हैं.
मतलब मोदी सरकार में रोजगार ही रोजगार हैं लेकिन किसी को दिखाई नहीं दे रहा है, कम से कम आलोचना करने वालों ने तो अपनी ऑंखें बंद कर रखी हैं, इसके अलावा भारत में करोड़ों लोग ऐसे भी हैं जिन्हें दुकानदार और छोटे व्यापारी अपने यहाँ काम पर तो रखते हैं, उन्हें सैलरी भी देते हैं लेकिन उसका रिकॉर्ड सरकार से छुपा लेते हैं जिसकी वजह से वे नौजवान रोजगार करते हुए भी बेरोजगार रहते हैं लेकिन GST के आने से अब ऐसे लोगों को अपने सभी कर्मचारियों का नाम सरकार को देना होगा जिसके बाद ऐसे लोग बेरोजगार से खुद ही रोजगार में आ जाएंगे।
कहने का मतलब ये है भारत में करोड़ों लोगों के पास रोजगार होते हुए भी वे सरकार के रिकॉर्ड में बेरोजगार है. क्योंकि उसका नाम सरकार की नजर से छुपा लिया जाता है, कई लोगों के पास 50 से भी अधिक लोग काम करते हैं लेकिन वे सरकार से यह सूचना छुपा लेते हैं, अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो सबका ESI कार्ड या मेडिक्लैम बनवाना पड़ेगा और उन्हें सरकारी ग्रेड के अनुसार सैलरी भी देनी पड़ेगी इसलिए वे सरकार से बताते ही नहीं हैं कि उनके पास दर्जनों लोग काम करते हैं. इसी प्रकार से करोड़ों लोग इन-फॉर्मल सेक्टर में काम करते हैं लेकिन वे सरकार की नजर में बेरोजगार हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा, अब सभी व्यापारियों और उद्योगपतियों को GST करवाना ही पड़ेगा और कर्मचारियों का डिटेल देना ही पड़ेगा।
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