तो इसलिए नोटबंदी से पहले PM MODI ने रघुराम राजन को कर दिया था अपनी टीम से बाहर: पढ़ें

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RBI गवर्नर पद पर रघुराम राजन की नियुक्ति पूर्व कांग्रेस सरकार ने की थी, वे कांग्रेस और मनमोहन सिंह के काफी करीबी थी. जब मोदी सरकार आयी तो भी रघुराम राजन RBI गवर्नर थे, 2 साल तक उन्होंने मोदी के साथ काम किया लेकिन मोदी ने उनके कार्यकाल को रि-न्यू नहीं किया. अब इस बात का खुलासा हो गया है कि रघुराम राजन को फिर से RBI गवर्नर क्यों नहीं बनाया गया.

आपको बता दें कि आज रघुराम राजन ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि वे नोटबंदी के पक्ष में नहीं थे हालाँकि इससे लॉन्ग टर्म में लाभ था लेकिन शोर्ट टर्म में बहुत नुकसान था. समस्याओं से निपटने के अन्य रास्ते भी थे लेकिन वे नोटबंदी के पक्ष में नहीं थी.

रघुराम राजन की बात से ही समझ में आ गया है कि मोदी ने रघुराम राजन को अपनी टीम से बाहर क्यों किया. जब वे मोदी के फैसले से सहमत ही नहीं थे तो मोदी उन्हें अपनी टीम में क्यों रखेंगे. रघुराम राजन भी दूसरा कार्यकाल चाहते थे लेकिन सुब्रमनियम स्वामी इस तरह से उनके पीछे पड़ गए कि उन्होंने खुद ही कह दिया कि वे दूसरा कर्यकाल नहीं चाहते.

अब ऐसा लग रहा है कि मोदी ने ही सुब्रमनियम स्वामी को रघुराम राजन के पीछे पड़ने को कहा था. सुब्रमनियम स्वामी तुरंत ही रघुराम राजन के पीछे पड़ गए और उन्हें अमेरिका का एजेंट, कांग्रेस का ख़ास आदमी बताने लगे, उन्होंने कहा कि अगर रघुराम राजन को हटाया नहीं गया तो ये ब्याज बढाकर मंहगाई बढ़ा देंगे और मोदी सरकार की 2019 में वापसी मुश्किल कर देंगे क्योंकि ये कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहे हैं.

मोदी रघुराम राजन पर इस कदर विश्वास नहीं करते थे कि उन्होंने नोटबंदी के बारे में उनसे कोई राय-सलाह नहीं ली, क्योंकि अगर मोदी ऐसा करते तो रघुराम राजन तुरंत ही कांग्रेस को सूचना दे देते और बात लीक हो जाती. अगर बात लीक हो जाती तो नोटबंदी भी फेल हो जाती. इसीलिए सितम्बर में रघुराम राजन का कार्यकाल ख़त्म हुआ, उर्जित पटेल ने उनकी जगह संभाली, मोदी ने उनके साथ केमिस्ट्री बिठाई और बिना किसी को बताए अचानक नोटबंदी कर दी.
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