कांग्रेसियों, आतंकियों और पाकिस्तान की धुनाई नहीं करते तो पिट जाता है मोदी का भाषण: पढ़ें क्यों

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कल भारत की स्वतंत्रता का 71वां वर्ष था यानी हमारी आजादी के 70 साल पूरे हो गए. यह दिवस हमारी आजादी के दीवानों को याद करने, उनकी वीरता को याद करने, सैनिकों की शहादत को नमन करते और सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए होता है. यह दिन इतिहास से सबक लेकर सही रास्ते पर चलने की शपथ लेने वाला दिन होता है. प्रत्येक 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से देश को संबोधित करते हैं. कांग्रेस के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अंग्रेजी भाषा में देश को संबोधित करते थे जो कम ही लोग समझ पाते थे लेकिन जब से नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं वे हिंदी में भाषण देते हैं और लोग उनकी बात को अच्छी तरह से समझते हैं.

मोदी के भाषण को भारत में बहुत सुना और देखा जाता है क्योंकि वे अपने भाषण में जब कांग्रेस, आतंकियों और पाकिस्तान की धुनाई करते हैं तो लोगों में जोश आ जाता है. लोग मोदी से ऐसे ही धमाकेदार भाषण की उम्मीद करते हैं जिसमें वे कांग्रेस की जमकर धुनाई करें, उसके घोटालों को याद कराएं, आतंकियों को करारा जवाब दें और पाकिस्तान-बलोचिस्तान के बारे में भी बोलें.

मोदी का भाषण ऐसा होता है कि अगर वे डेढ़ दो घंटे भी भाषण दें तो लोग बोर नहीं होते और मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहते हैं. कुछ लोग तो यह भी चाहते हैं कि मोदी बोलते ही रहें और वे सुनते ही रहें. मोदी का पिछला भाषण भी सुपरहिट गया था जबकि उस समय उन्होंने ना तो सर्जिकल स्ट्राइक की थी, ना नोटबंदी की थी और ना ही GST लागू किया था. मोदी ने उस भाषण में पाकिस्तान, बलोचिस्तान, गिलगिट, POK आदि का जिक्र करके पाकिस्तान में तहलका मचा दिया था, यही नहीं कांग्रेस की भी जमकर धुनाई की थी.

लेकिन मोदी ने कल के भाषण में ना तो कांग्रेस की धुनाई की, ना आतंकियों को करारा जवाब दिया, ना ही पाकिस्तान, बलोचिस्तान, POK और गिलगित का जिक्र किया. इन सब मुद्दों पर मोदी ने बोला ही नहीं. पहली बार मोदी ने सिर्फ 55 मिनट का भाषण दिया. 30 मिनट तो वे मन की बात में ही बोल लेते हैं और लगभग यही सब बोलते हैं.

कल के भाषण में लोगों को कुछ नया चाहिए था. उन्होने देशवासियों से सुझाव भी मांगे थे. एक महीनें से मैसेज कैम्पेन चला रखा था. दिन रात लोगों को मैसेज करके सुझाव माँगा जा रहा था इसके बावजूद भी मोदी का भाषण इतना ठंढा गया.

इससे भी हैरानी की बात ये थी कि मोदी ने कश्मीर के पत्थरबाजों, जिहादियों और पाकिस्तान समर्थकों के खिलाफ गोली और गाली नहीं बल्कि गले लगाने के फ़ॉर्मूले का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि अब हम गाली और गोली से नहीं बल्कि कश्मीरियों को गले लगाकर कश्मीर समस्या सुलझाएंगे. मोदी से देशवासियों को इसकी उम्मीद नहीं थी. लोग कश्मीर में एक्शन चाहते हैं क्योंकि सेना के खिलाफ पत्थर और हथियार जिहादी तत्त्व उठाते हैं. साधारण और इमानदार कश्मीरी तो ऐसी हरकतें करते ही नहीं हैं.
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