बिकाऊ मीडिया ने इसे बना दिया था हीरो, अगर खुलासा ना होता तो शायद बना देते भारत रत्न का दावेदार

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देश के बिकाऊ मीडिया की पोल एक बार फिर से खुल गयी हैं क्योंकि बिकाऊ मीडिया ने गोरखपुर कांड के बाद आनन फानन में उसे ही हीरो बना दिया जो इस कांड का विलेन है और जिसकी वजह से दर्जनों बच्चों की जान गयी है. बिकाऊ मीडिया ने पैसे खाकर गोरखपुर कांड के असली विलेन डॉ कफील खान को हीरो बना दिया था, उसके बारे में कहा जा रहा था कि इसनें ही सैकड़ों बच्चों की जान बचाई, इमरजेंसी में सिलेंडर का इंतजाम किया और बच्चों को ऑक्सीजन दी.

अब पता चल रहा है कि डॉ कफील खान सरकारी अस्पताल के ऑक्सीजन के सिलेंडरों को चुराकर उसे अपने निजी अस्पताल में ले जाते थे और वही चोरी के 3 सिलेंडर वह उस दिन वापस लाकर हीरो बन गए. अगर वे सरकारी सिलेंडरों को चुराकर अपने क्लिनिक में ना ले जाते तो अस्पताल में ऑक्सीजन की कमीं ही ना होती और इतने बच्चों की जान ही ना जाती.

अगर डॉ कफील खान की पोल ना खुलती तो बिकाऊ मीडिया ने जिस तरह से उसे हीरो बनाया था, शायद अब तक उसे भारत रत्न का दावेदार भी बना दिया जाता.

गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त को सबसे अधिक 23 बच्चों की मौत हुई थी और उसी दिन ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी, एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसकी वजह से सब कुछ साफ़ हो गया है. डॉ कफील खान जो Encephalitis विभाग के इंचार्ज थे और हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट भी वही थे, मतलब पूरा पूरे हॉस्पिटल की जिम्मेदारी उस वक्त उन्हीं के कंधे पर थी क्योंकि प्रिंसिपल राजीव मिश्रा छुट्टी पर थे. डॉ कफील खान उस दिन सरकारी अस्पताल में ड्यूटी देने के बजाय अपने क्लिनिक पर बैठे थे.
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