घूस के चक्कर में रोकी गयी थी ऑक्सीजन सप्लायर की पेमेंट, जेल के डर से सभी 9 आरोपी फरार: पढ़ें

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गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में घूस और रिश्वतखोरी का मकड़जाल बिछा हुआ था, हर चीज में कमीशन चलती थी, हर पेमेंट के लिए घूस माँगा जाता था, जो लोग घूस नहीं देते थे उनकी भी पेमेंट रोक दी जाती थी, इसी तरह से ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी पुष्प सेल की भी पेमेंट रोकी गयी थी, अस्पताल के प्रिंसिपल और डॉ कफील खान घूस मांग रहे थे इसी वजह से ऑक्सीजन सप्लायर की पेमेंट नहीं की, जब ऑक्सीजन सप्लायर को पेमेंट नहीं मिली तो उसनें सप्लाई रोक दी और ऑक्सीजन की कमीं से 33 बच्चे तड़प तड़प कर मर गए.

अगर ये घूसखोर घूस के चक्कर में पेमेंट ना रोकते तो ऑक्सीजन सप्लाई जारी रहती और बच्चों की मौत ना होती लेकिन इन लोगों ने पैसे की भूख में 33 बच्चों का जीवन खा लिया. अब इस मामले की जांच चल रही है, 9 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गयी है, अब सभी राज खुलने लगे हैं तो सभी आरोपी फरार हो चुके हैं. पुलिस जल्द ही इन सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी और इन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा जाएगा.

आज उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने इलाहबाद हाई कोर्ट में डॉक्यूमेंट जमा करते हुए कहा कि हमें अस्पताल को पहले ही दो बार चेतावनी दी थी लेकिन उन्होने हमारी चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया. हम 10 तारीख की घटना से वाकिफ थे, हमारी चेतावनी को अस्पताल प्रशासन ने नजरअंदाज किया, घूस के चक्कर में ऑक्सीजन सप्लायर की पेमेंट रोकी गयी जिसकी वजह से ऑक्सीजन सप्लाई बंद की गयी और 33 बच्चों की जान चली गयी.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोरखपुर कांड में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 9 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की है. ये आरोपी हैं - मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा, ऑक्सीजन सप्लाई रोकने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स, ऑक्सीजन सप्लाई इंचार्ज डॉ सतीश, एक्यूट एनसिफिलिटिस वार्ड के इंचार्ज डॉ कफील खान, डॉ राजीव मिश्रा की पत्नी डॉ पूर्णिमा शुक्ला, मेडिकल कॉलेज के चीफ फार्मासिस्ट गजानन जैसवाल, एक अकाउंटेंट और कुछ अन्य हैं. इस वक्त सभी आरोपी फरार हैं लेकिन पुलिस उनकी गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है.
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