इस डॉक्टर की पैसे कमाने की हवस ने ली 60 बच्चों की जान, हो गया गोरखपुर कांड का पर्दाफाश: पढ़ें

dr kafeel khan exposed in gorakhpur tragedy. Dr Kafeel khan run his private hospital medspring besides he working in brd medical collage as incharge of department
dr-kafeel-khan-exposed-in-gorakhpur-tragedy-60-children-death

पैसे कमाने की हवस बहुत बुरी होती है. जिस सरकारी अस्पताल के डॉक्टर की प्राइवेट क्लिनिक या नर्सिंग होम होता है उसके अन्दर पैसे कमाने की हवस इतनी बढ़ जाती है कि वो पहले मरीजों को इतना परेशान कर देते हैं कि मरीज उनसे पूछते हैं - डॉक्टर साहब अब क्या करें. इसके बाद डॉक्टर कहते हैं कि मरीज को मेरे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दो तब देखते हैं. इसके बाद मरीजों को मजबूर होकर डॉक्टर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और डॉक्टर उनसे मुंहमांगा पैसा लूटते हैं.

गोरखपुर कांड में भी यही मामला सामने आ रहा है. आप खुद समझ सकते हैं कि एक मेडिकल कॉलेज का इंचार्ज और सुपरिनटेंडेंट होने के बावजूद भी अगर डॉ कफील खान अपना नर्सिंग होम खोल रखे थे तो वे सरकारी अस्पताल में भर्ती बच्चों का किस कदर से ख्याल रखते होंगे. हमने खुद अनुभव किया है कि ऐसे डॉक्टरों का हमेशा ध्यान अपने नर्सिंग होम के मरीजों पर होता है क्योंकि वहां पर मरीजों के प्रति उनकी जिम्मेदारी अधिक होती है, अगर एक मरीज भी मर जाए तो लोग डॉक्टरों को मारने पीटने पर उतारू हो जाते हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों में कोई मर जाए तो इतना डर नहीं होता.

कहने का मतलब ये है कि सरकारी अस्पताल में होने के बाद भी कफील खान का अपना नरसिंह होम था जिसका नाम था Medspring. इस नर्सिंग होम में बच्चों के भर्ती करने की सुविधा थी, यह अस्पताल 24 घंटे खुला रहता था और डॉ कफील खान ही मरीजों को देखते थे. मतलब जैसे ही उनके नर्सिंग होम में कोई मरीज आता था तो वे सरकारी अस्पताल की ड्यूटी छोड़कर अपने नर्सिंग होम में चले आते थे और सरकार अस्पताल के मरीजों को उनके हाल पर छोड़ देते थे.

एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यह अस्पताल उनकी पत्नी के नाम पर था जो सिर्फ एक डेंटिस्ट हैं लेकिन यहाँ पर भी बच्चों में Encephalitis का भी इलाज किया जाता था, अस्पताल में ICU था और लगभग वही सुविधा दी जाती थी जो BRD मेडिकल के बच्चों के इलाज में दी जाती है. मतलब डॉ कफील खान सरकारी अस्पताल की सभी सुविधाएं अपने प्राइवेट अस्पताल में प्रदान कर रहे थे, यह भी हो सकता है कि सरकारी अस्पताल के मरीजों को जान बूझकर परेशान किया गया हो ताकि वे उनके नर्सिंग होम में भर्ती हो सकें. हो सकता है कि डॉ कफील खान ने जान बूझकर ऑक्सीजन की सप्लाई रुकवाई हो ताकि बच्चे मरने लगें और वे उन्हें अपने प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराकर खूब पैसा कमाना चाहते हों क्योंकि सरकारी अस्पताल में सिलेंडर गायब थे लेकिन उनके प्राइवेट अस्पताल में सिलेंडर मौजूद थे. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि वे सरकारी अस्पताल के सिलेंडर चुराकर अपने अस्पताल में पहुंचा देते थे. घटना के दिन भी उन्होंने शायद सिलेंडर चुरा लिए हों क्योंकि वे खुद तीन सिलेंडर अपने प्राइवेट अस्पताल से लाए थे.

कुल मिलकर कहने का मतलब ये है कि 60 बच्चों की ये मौतें भ्रष्टाचार, पैसे कमानें की हवस और लालच का नतीजा लग रहा है और इस मामले की CBI जांच होनी चाहिए, हो सकता है कि पिछले साल अगस्त महीनें में 600 मौतें का भी खुलासा हो जाए, हो सकता है कि हर साल अगस्त महीनें में जो 600-700 मौतें होती हैं उसका भी खुलासा हो जाए.
फेसबुक, WhatsApp, ट्विटर पर शेयर करें

States

Uttar Pradesh

Post A Comment:

0 comments: