दंगे-फसाद करवाकर, मीडिया को खरीदकर खट्टर सरकार को उखाड़ने की रची गयी थी बहुत बड़ी साजिश: पढ़ें

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आपने आज देख लिया कि खट्टर सरकार ने कितनी चतुराई और बहादुरी से बाबा राम रहीम का मामला निपटा दिया, आज एक भी जगह हिंसा नहीं हुई, कोई दंगा नहीं हुआ, मीडिया की कोई गाडी नहीं जलाई गयी, किसी मीडिया चैनल ने खट्टर का इस्तीफ़ा नहीं माँगा, किसी मीडिया चैनल ने खट्टर सरकार को खटारा नहीं बताया.

अब आप 26 अगस्त का दिन याद कीजिये, मीडिया को भीड़ भाड़ वाले इलाके में जाने की मनाही थी लेकिन मीडिया के लोग रोकने से नहीं रुके और भीड़ वाले स्थानों पर गए. आप सोचिये, जब 26 अगस्त को बाबा राम रहीम के खिलाफ फैसला आया तो उनके भक्तों को किसने बताया कि बाबा राम रहीम को सजा हो गयी है, वहां ना इन्टरनेट चल रहा था, ना टीवी चल रहा था, बाबा के भक्तों को दो दिन पहले ही पंचकूला में आने से रोक दिया गया था और जो लोग पंचकूला में थे वे चार-पांच दिन पहले से ही आकर रुके थे इसलिए उनके पास मोबाइल-इन्टरनेट होने का सवाल ही नहीं पैदा होता. अब आप सोच रहे होंगे कि बाबा के भक्तों को उनकी सजा के बारे में किसने बताया होगा तो जवाब है कि मीडिया ने उन्हें बताया था क्योंकि मीडिया वाले चाहते थे दंगे हों, आग लगाई जाय, हिंसा हो, हर तरफ अफरा तफरी मचे ताकि वे वीडियो बना सकें. इसीलिए तो वे लोग वहां पर गए थे. वे तो चाहते ही दंगा-फसाद थे. उन्हें तो दंगा-फसाद होने का इन्तजार था.

अब आप सोचिये, 26 तारीख को दंगाइयों ने सिर्फ मीडिया के साथ मारपीट क्यों की, मीडिया की ही गाड़ियाँ क्यों जलाई, मीडिया वालों का ही नुकसान क्यों किया. हम बताते हैं. इस सब की साजिश की गयी थी. पहले से ही मीडिया पर अटैक का प्लान बनाया गया था ताकि सभी मीडिया चैनलों को बाबा राम रहीम और खट्टर सरकार पर गुस्सा आ जाए और हुआ भी यही. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ मीडिया वालों ने ही दंगाइयों को उनकी वैन जलाने के लिए पेट्रोल दिया था क्योंकि मीडिया की गाड़ियों की चेकिंग नहीं होती है, वे लोग आराम से पेट्रोल की कैन ले जा सकते हैं और पकडे जाने पर वे लोग बहाना बना सकते हैं कि इमरजेंसी के लिए पेट्रोल रखा गया है.

अब आप खुद सोचिये, दंगाइयों ने मीडिया की ही गाड़ियाँ क्यों जलाईं. क्या बाबा राम रहीम के भक्त इतने पागल थे कि मीडिया के लोगों को नुकसान पहुंचाएंगे. क्या उन्हें अंजाम के बारे में नहीं पता था. जरूर पता था लेकिन इस सब की साजिश की गयी थी.

आप खुद याद कीजिये जैसे ही मीडिया की गाड़ियाँ जलाई गयीं वैसे ही दिल्ली में बैठे मीडिया चैनल कांग्रेस के सुर में बात करने लगे, सभी मीडिया चैनल खट्टर सरकार को खटारा बोलने लगे और इस्तीफ़ा देने की मांग करने लगे. हर कोई खट्टर सरकार को फेल बता रहा था. हर कोई यही कह रहा था कि खट्टर की वजह से पंचकूला में भीड़ जुट गयी, वे भीड़ को रोक नहीं पाए. खट्टर फेल हो गए. खट्टर ने दंगा करा दिया. हरियाणा को जला दिया, पंचकूला को जला दिया.

अमरिंदर सिंह का क्यों नहीं माँगा गया इस्तीफ़ा

सबसे हैरानी की बात तो यह थी कि खट्टर को सभी मीडिया चैनल खटारा बता रहे थे जबकि उन्होने पंचकूला चंडीगढ़ में सेना-CRPF तैनात कर दी थी लेकिन किसी भी मीडिया चैनल ने पंजाब की कांग्रेस सरकार से कोई सवाल नहीं किया. अगर डेरा प्रेमी हरियाणा में हैं तो डेरा प्रेमी पंजाब में भी हैं. अगर बाबा राम रहीम के भक्त हरियाणा से आए थे तो उनके भक्त पंजाब से भी आए थे. पंजाब से ज्यादा आए होंगे लेकिन किसी भी मीडिया चैनल ने यह नहीं कहा कि पंचकूला में भीड़ जुटने के लिए अमरिंदर सिंह भी जिम्मेदार हैं और इन्हें भी इस्तीफ़ा देना चाहिए. हर कोई खट्टर के पीछे पड़ गया था. हर कोई उनका इस्तीफ़ा मांग रहा था. पंजाब की कांग्रेस सरकार से ना तो कोई सवाल कर रहा था और ना ही उनका इस्तीफ़ा मांग रहा था क्योंकि साजिश करने वाले अपनी सरकार का इस्तीफ़ा क्यों मांगेंगे.

कौन कौन शामिल था साजिश में

खट्टर को उखाड़ने की साजिश में लगभग सभी मीडिया चैनल शामिल थे. हर किसी को पैसे खिलाए गए थे. पहले से ही दंगे की साजिश रची गयी थी, हर शहर में दंगा करवाकर खट्टर सरकार को बदनाम करने की योजना बनाई गयी थी. आप अगर कांग्रेसी नेताओं का ट्वीट देख लें तो समझ जाएंगे कि इस साजिश में कौन कौन शामिल था. कांग्रेस पार्टी खट्टर से बहुत नाराज है. खट्टर जिस तरह से सोनिया गाँधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के पीछे पड़े हुए हैं हो सकता है कि CBI कोर्ट रॉबर्ट वाड्रा को भी बाबा राम रहीम की तरह सजा सुना दे, खट्टर के जाने के बाद ही CBI की जांच बंद होगी इसलिए कांग्रेस हाथ धोकर उनके पीछे पड़ी हुई है और इसीलिए मीडिया को पैसे देकर खट्टर के खिलाफ बहुत बड़ा अभियान चलाया गया. मीडिया ने कांग्रेस से ही पैसे खाकर खट्टर को फेल बताया, खट्टर सरकार को खटारा बताकर उन्हें बदनाम करना शुरू कर दिया.

सिर्फ 4 घंटे चला मीडिया का ड्रामा, फेल हुए साजिश

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मीडिया तो कई दिनों तक दंगे-फसाद की खबर चलाना चाहता था लेकिन उसकी पूरी योजना फेल हो गयी क्योंकि खट्टर ने भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया जिसके बाद बाबा राम रहीम के समर्थकों में डर फ़ैल गया. हर किसी को जान की चिंता होने लगी. तुरंत ही सभी लोग पंचकूला से भागने लगे. बाबा के हर समर्थक को उसकी जान की चिंता होने लगी. तुरंत ही दंगा-फसाद और आगजनी बंद हो गयी. जो मीडिया खट्टर को फेल और खटारा बता रहा था उसे भी अपना सुर बदलना पड़ा, क्योंकि इनकी पोल खुल गयी थी. पहली तो इन्होने खुद ही अपनी गाड़ियाँ जलवा ली और उसके बाद खट्टर के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया. उधर BJP IT सेल को भी इस साजिश की जानकारी हो गयी और उनके भी लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव हो गए.

अगर गोलियां ना चलवाते तो गिर जाती खट्टर सरकार

खट्टर को उनके दबंग आदेश ने ही बचा लिया. अगर वे हालात को कण्ट्रोल करने के लिए गोलियां चलाने का आदेश ना देते तो दो तीन दिन में उनकी सरकार गिर जाती क्योंकि बाबा राम रहीम के भक्तों की आड़ में साजिशकर्ताओं ने अपने आदमी भेज दिए थे, यही लोग मीडिया की गाड़ियाँ जलाए थे, यही लोग उत्पात कर रहे थे, दंगा ये कर रहे थे लेकिन बदनाम बाबा राम रहीम के भक्तों को कर रहे थे, मीडिया भी इनसे मिली हुई थी इसलिए तुरंत ही बाबा राम रहीम के समर्थकों को गुंडे बताया जाने लगा ताकि उन्हें गुस्सा आ जाए और वे दंगा-फसाद शुरू कर दें, आगजनी शुरू कर दें लेकिन जब खट्टर ने गोली मारने के आदेश दे दिए तो साजिश करने वाली पार्टी के आदमी भी डर गए और वहां से भाग निकले क्योंकि हर आदमी को जान की फिक्र होने लगी. खट्टर सरकार ने इसके बाद किसी को कहने का मौका नहीं दिया और दूसरे दिन सुबह डेरा के सभी आश्रमों को सील करवा दिया, हर जगह आर्मी भेज दी और हर प्रॉपर्टी को जब्त करना शुरू कर दिया. खट्टर के इस एक्शन से डेरा प्रेमी भी शांत बैठ गए क्योंकि उन्हें लगा कि अगर उन्होंने हिंसा की तो बाबा का आश्रम सरकार अपने कब्जे में ले लेगी और बाबा के पास कुछ नहीं बचेगा.
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