हल्ला मचाकर राज्य सभा से पैर पटकते हुए चली गयीं मायावती: पढ़ें क्यों

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आज राज्य सभा में मायावती ने जमकर बवाल काटा, उन्होंने जमकर हल्ला गुल्ला मचाया और उसके बाद पैर पटकते हुए निकल गयीं. उनके इस रवैय्ये से लोग हैरान था, इससे पहले मायावती ने ऐसा काम कभी नहीं किया, हल्ला तो वे पहले भी मचाती थीं लेकिन इस तरह से राज्य सभा छोड़कर कभी नहीं भागीं, उनके इस रवैय्ये से राज्यसभा डिप्टी चेयरमैन कुरियन भी हैरान थे. उन्होंने भी मायावती को रोकने की कोशिश की लेकिन ऐसा लगा कि मायावती पहले ही सोचकर आयी थी कि आज बवाल काटना है.
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बात दरअसल यह थी कि मायावती ने बिना नोटिस के ही सहारनपुर में हाल ही में हुए दंगे का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया, बिना नोटिस के राज्य सभा में कोई मुद्दा नहीं उठाया जा सकता और ना ही चर्चा की जा सकती है लेकिन मायावती सभी नियम कायदे तोड़कर सहारनपुर दंगे पर चर्चा करना चाहती थीं. जब बीजेपी सदस्यों ने उनका विरोध किया तो मायावती ने मोदी सरकार को दलित विरोधी बताना शुरू कर दिया.

मायावती यहीं नहीं रुकी, उन्होंने सहारनपुर दंगों का इल्जाम भी बीजेपी पर लगा दिया, उन्होंने कहा कि बीजेपी ने ही जानबूझकर सहारनपुर में दंगा कराया और अब दलितों की आवाज दबाई जा रही है. उन्होंने कहा कि अगर मुझे बोलने नहीं दिया गया तो मैं इस्तीफ़ा दे दूंगी.

मायावती ने कहा कि मैं राज्य सभा में दबे कुचलों की बात रख रही थी तो मेरी बात को सुना नहीं गया और सत्ता पक्ष के लगो जिसमें मंत्री भी शामिल थे, सारे के सारे खड़े हो गए. मुझे जब बोलने नहीं दिया गया तो मेरी राज्यसभा सदस्य होने पर लानत है. क्या फायदा है मेरे राज्य सभा में आने का.

उन्होने कहा कि स्थगन प्रस्ताव के समय कोई टाइम लिमिट नहीं होती है, उस समय अगर मैं चाहूँ तो आधे घंटे और एक घंटे भी बोल सकती हूँ, लेकिन मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि अब मैंने फैसला लिया है कि इस हाउस के अन्दर ऐसी सरकार के रहते हुए, जो सरकार बाबा अंबेडकर के नाम पर दलितों को गुमराह करती रहती है, मैं इस सदन से इस्तीफ़ा दे दूंगी.

उन्होंने कहा कि सहारनपुर में जो दलित उत्पीडन कांड हुआ है, उसके बारे में मुझे इस सरकार ने बोलने नहीं दिया है तो इसमें इनकी नौटंकी नहीं है तो और क्या है. जब मैं देश और जनहित के मुद्दों पर अपनी बात नहीं रख सकती, जब मैं अपने समाज की बात नहीं रख सकती, दलितों और आदिवासियों की बात नहीं रख सकती तो मेरे इस हाउस में रहने का अधिकार नहीं है, इसलिए मैंने राज्य सभा से इस्तीफ़ा देने का फैसला लिया है.
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