क्यों हो रही है अलग गोरखालैंड की मांग, क्या गोरखालैंड को बनाना चाहिए भारत का अलग राज्य: पढ़ें

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दार्जिलिंग: अगर आपको जानकारी ना हो तो बता देते हैं कि वर्ष 1988 से गोरखा लोग अलग गोरखालैंड बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन अब पक्की जिद पर आ चुके हैं, उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल से अलग होकर अलग गोरखालैंड बनना ही चाहिए, इसी मांग को लेकर पिछले 10 दिन से दार्जिलिंग में प्रदर्शन, हिंसा और आगजनी चल रही है, कल पुलिस और गोरखाओं में हिंसक झड़प हुई जिसमें तीन गोरखाओं प्रदर्शनकारियों की की मौत हो गयी जबकि 35 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए.

क्या है गोरखालैंड मुद्दा - What is Gorkhaland Issue

आपको मैप में साफ़ साफ़ दिख रहा होगा कि पश्चिम बंगाल के किस क्षेत्र को अलग गोरखालैंड बनाने की मांग की जा रही है, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोरखा लोग भारत से अलग नहीं होना चाहिए बल्कि गोरखा भारतीय बने रहना चाहते हैं जबकि बंगाल को बांग्लादेश बनाने की कोशिश की जा रही है, जिहादियों की घुसपैठ कराकर उनका वोटर कार्ड बनाया जा रहा है, राज्य को इस्लामिक स्टेट बनाने की कोशिश की जा रही है, इसके बिपरीत गोरखा लोग देशभक्त और अलग गोरखालैंड बनाकर भारत में ही रहना चाहते हैं ताकि उनकी संस्कृति पर कोई चोट ना पहुंचा सके, आपको बता दें कि भारतीय सेना में करीब 39 गोरखा राइफल्स बटालियन हैं.

क्यों चाहते हैं अलग गोरखालैंड

गोरखा लोग कह रहे हैं कि उनपर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाली भाषा थोपना चाहती हैं जबकि उनकी भाषा हिंदी-नेपाली है. उनका कहना है कि हमारी संस्कृति और भाषा बंगाली से अलग है इसलिए हमारा अलग राज्य बना दिया जाए ताकि हम पर कोई बंगाली भाषा ना थोपी जाय, जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में ममता बनर्जी ने स्कूलों में बंगाली भाषा को अनिवार्य बना दिया था जिसके बाद गोरखाओं ने विरोध और प्रदर्शन शुरू कर दिया, उन्होंने कहा कि अगर हमपर बंगाली थोपना है तो हमारा अलग राज्य बना दो और अपनी बंगाली अपने पास ही रखो.

क्या बनाना चाहिए अलग गोरखालैंड

मैप में साफ़ साफ़ दिख रहा है कि पहाड़ी क्षेत्र बंगाल से काफी Disconnected है इसीलिए वहां पर ना तो विकास पहुंचा है और ना ही उनका भला हो रहा है, उनकी भाषा और संकृति भी बंगला से अलग है, इसके अलावा मामला बनर्जी इस्लामीकरण को भी बढ़ावा दे रही हैं, पिछले 10 वर्षों में भारत में कई राज्य बनाए गए हैं जैसे - उत्तराखंड, झारखंड. इसे देखते हुए अलग गोरखालैंड बनाने में कोई बुराई नहीं है, इसीलिए बीजेपी भी अलग गोरखालैंड की मांग का समर्थन कर रही है.

दो बार हो चुका है बड़ा आन्दोलन

अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर अब तक तो बड़े आन्दोलन हो चुके हैं, स्थानीय राजनीतिक पार्टियाँ गोरखालैंड की मांग कर रही हैं, पहला आन्दोलन Gorkha National Liberation Front (GNLF) ने (1986-1988) में किया था और दूसरा आन्दोलन Gorkha Janmukti Morcha (GJM) ने 2007 से शरू किया है, अब इस आन्दोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया है और पिछले 10 दिन से हिंसा और आगजनी जारी है. आन्दोलन को दबाने के लिए ममता बनर्जी ने पुलिस की पूरी ताकत लगा दी है लेकिन गोरखा लोगों ने भी आन्दोलन में पूरी ताकत झोंक दी है.
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