New Delhi, 24 June: कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने NDA के साफ़ सुथरे राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के खिलाफ आनन फानन में मीरा कुमार को राष्ट्रपति उम्मीदवार तो बना दिया लेकिन उनके बारे में थोड़ी सी भी जांच करना जरूरी नहीं समझा कि वे सबसे ऊंचे पद के लिए योग्य भी हैं या नहीं. कांग्रेस को सोचना चाहिए था कि सिर्फ दलित होने से कोई राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बन जाता बल्कि इसके लिए ईमानदारी और बेदाग़ छवि होनी चाहिए.
राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद मीरा कुमार के बारे में ऐसे ऐसे खुलासे हो रहे हैं कि सियासी गलियारों में हलचल मच गयी है, खबर आ रही है कि नई दिल्ली के लुटियंस जोंस में कृष्ण मेनन मार्ग पर उन्होंने दो सरकारी बंगलों पर अवैध रूप से ना सिर्फ कब्जा जमाया हुआ है बल्कि दोनों बंगलों को आपस में जोड़कर एक बंगला बना लिया है, कायदे से तो उन्हें दोनों बंगलों को छोड़ देना चाहिए था क्योंकि अब वे तीन साल पहले ही लोकसभा चुनाव हार गयी थीं, वे सांसद नहीं हैं तो उन्हें सरकारी बंगले का लाभ भी नहीं लेना चाहिए लेकिन उन्होंने दोनों बंगलों पर अवैध कब्जा जमा लिया.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चाहे राष्ट्रपति हो, प्रधानमंत्री हो या लोकसभा स्पीकर, किसी को भी सरकारी बंगले में छेड़छाड़ करने, निर्माण करने और तोड़फोड़ करने का अधिकार नहीं है, अगर ऐसा कोई करता है तो कानून का उल्लंघन होता है, अब आप खुद सोचिये, मीरा कुमार ने ना सिर्फ दोनों बंगले पर कब्ज़ा किया, दोनों को आपस में जोड़कर अपनी आलिशान हवेली बना ली, जो नेता कानून को नहीं मानता, क्या उसे राष्ट्रपति बनाना सही रहेगा या सिर्फ दलित होने से किसी को भी राष्ट्रपति उम्मीदवार बना दिया जाएगा.
आपकी जानकारी के लिए बता दें की 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद मीरा कुमार को दोनों बंगले खाली करने के लिए बार बार नोटिश दिया गया लेकिन उन्होंने कहा कि मैंने दोनों बंगलों को 25 साल के लिए अपने लिए बुक करवा लिया है, अब तक उनका करोड़ों रुपये का किराया हो गया है लेकिन उन्होंने मनमोहन सरकार के समय डेढ़ करोड़ रुपये के आसपास माफ़ करवा लिया, अब वे बंगले का किराया भी देने को राजी नहीं हैं और ना छोड़ने को राजी हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चाहे राष्ट्रपति हो, प्रधानमंत्री हो या लोकसभा स्पीकर, किसी को भी सरकारी बंगले में छेड़छाड़ करने, निर्माण करने और तोड़फोड़ करने का अधिकार नहीं है, अगर ऐसा कोई करता है तो कानून का उल्लंघन होता है, अब आप खुद सोचिये, मीरा कुमार ने ना सिर्फ दोनों बंगले पर कब्ज़ा किया, दोनों को आपस में जोड़कर अपनी आलिशान हवेली बना ली, जो नेता कानून को नहीं मानता, क्या उसे राष्ट्रपति बनाना सही रहेगा या सिर्फ दलित होने से किसी को भी राष्ट्रपति उम्मीदवार बना दिया जाएगा.
आपकी जानकारी के लिए बता दें की 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद मीरा कुमार को दोनों बंगले खाली करने के लिए बार बार नोटिश दिया गया लेकिन उन्होंने कहा कि मैंने दोनों बंगलों को 25 साल के लिए अपने लिए बुक करवा लिया है, अब तक उनका करोड़ों रुपये का किराया हो गया है लेकिन उन्होंने मनमोहन सरकार के समय डेढ़ करोड़ रुपये के आसपास माफ़ करवा लिया, अब वे बंगले का किराया भी देने को राजी नहीं हैं और ना छोड़ने को राजी हैं.
तो इसमे उसका क्या दोष हे, ये तो वर्तमान सरकार का फ़ेल्युर हे। नियम विरुद्ध अगर कोई कब्जा कर रहा हे तो उसे नियमानुसार खाली करवा लेना चाहिए, जब अजित सिंग से खाली करवाया जा सकता हे तो मीरा कुमार से क्यो नहीं। ये सरकार का फ़ेल्युर हे।
ReplyDeleteStrange enough to see such samant wadi politics in india
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