EVM टेम्परिंग और ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट मामले में कपिल मिश्रा ने खोल दी केजरीवाल की पोल, बुरे फंसे

Kapil Mishra exposed Arvind Kejriwal in Office of Profit and EVM temparing issue. Read why Kejriwal raising EVM temparing issue
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New Delhi, 24 June: आम आदमी पार्टी के बागी विधायक और दिल्ली के पूर्व जल मंत्री कपिल मिश्रा ने इशारा किया है कि ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट मामले में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को सदस्यता ख़त्म होगी और इसके लिए सिर्फ केजरीवाल जिम्मेदार होंगे.

कपिल मिश्रा ने कहा कि - आम आदमी पार्टी के 21 विधायक जिन पर ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट का केस चल रहा है और जिन पर अब किसी भी दिन चुनाव आयोग का फैसला आ सकता है, उनमें से ज्यादातर विधायकों को यह भी नहीं पता है कि आखिर उन्हें संसदीय सचिव बनाने का निर्णय किसनें और क्यों लिया था.

कपिल मिश्रा ने कहा कि - विधायकों को यह भी नहीं पता है कि उनके खिलाफ केस की जांच पूरी हो चुकी है और अब सिर्फ अंतिम फैसला आना है, अरविन्द केजरीवाल ने उनसे झूठ बोला है कि अभी उनका केस बहुत लंबा चलेगा लेकिन जैसी कहावत है कि झूठ के पाँव नहीं होते, जैसे जैसे फैसले की घडी आ रही है, इस झूठ पर से पर्दा भी हटता जा रहा है.

उन्होंने बताया कि - एक बार जो हम सभी विधायक जानते थे कि एक भी विधायक केजरीवाल के पास संसदीय सचिव का पद मांगने नहीं गया था, किसी को ऐसी कोई आवश्यकता नहीं थी कि नियमों को तोड़कर जल्दबाजी में विधायकों की सदस्यता खतरे में डाली जाय.

कपिल ने बताया कि नियम के मुताबिक़ केजरीवाल को अपने लिए सिर्फ एक ससंदीय सचिव की नियुक्ति का अधिकार था लेकिन केजरीवाल ने उस पद पर नियुक्ति ही नहीं की, जो पद नहीं नियुक्त किये जा सकते थे उन्हीं पर गैरकानूनी नियुक्तियां की गयीं.

कपिल ने कहा कि - अब सवाल है, कौन था इसका जिम्मेदार? किसनें खड़ी की विधायकों की अब तक की सबसे बड़ी मुसीबत, क्या यह सब विधायकों को डराने और उन्हें फंसाकर रखने के लिए किया गया? इस मामले में आशीष तलवार, आशीष खेतान और खुद अरविन्द केजरीवाल ने निर्णय लिए.

कपिल मिश्रा ने यह भी बताया कि जिन LG के शक्तियों के खिलाफ केजरीवाल कोर्ट तक चले गए, जिनकी शक्तियों को जनलोकपाल एवं स्वराज जैसे कानूनों के अंतर्गत नहीं माना, उन्हीं LG की शक्तियों के सहारे इस मुसीबत से बचने की असफल कोशिश की गयी, केजरीवाल ने चुनाव आयोग में यह तर्क दिया कि इनकी नियुक्तियां LG ने नहीं की हैं इसलिए इन्हें संसदीय सचिव ना माना जाए और इनकी सदस्यता ना समाप्त की जाए. ज़रा सोचिये, क्या ये बचकाना तर्क कोई मान सकता है, इन संसदीय सचिवों का दफ्तर, बोर्ड, आर्डर, मीटिंग, सब कुछ चल रहा है लेकिन इन्हें संसदीय सचिव ना माना जाए क्योंकि इनकी नियुक्ति के लिए LG की परमिशन नहीं ली गयी.

कपिल ने बताया कि - खुद केजरीवाल बीसियों बार कह चुके हैं कि LG की अनुमति नहीं ली जाएगी, इसे कहते हैं बन्दर के हाथ में उस्तरा देना.

किसी भी दिन ख़त्म हो सकती है 21 विधायकों की सदस्यता

कपिल ने बताया कि - आज 21 विधायकों की सदस्यता किसी भी दिन समाप्त की जा सकती है, अगर कोई आदमी 67 विधायकों वाली सरकार भी नहीं चला पा रहा है तो उसको क्या कहा जाए, उसके लिए हर भाषा में अलग अलग शब्द है लेकिन सवाल केवल योग्यता पर नहीं बल्कि नीयत पर भी है.

इसीलिए चुनाव आयोग से लड़ने का बनाया जा रहा माहौल

कपिल मिश्रा ने बताया कि - अब केजरीवाल पूरी तरह से फंस चुके हैं तो चुनाव आयोग से लड़ने का माहौल बना रहे हैं, EVM टेम्परिंग का मुद्दा इसीलिए उठाया कहा था, केजरीवाल जान बूझकर चुनाव आयोग से लड़ रहे हैं ताकि जनता को सन्देश दिया जा सके कि हम चुनाव आयोग से लड़ रहे हैं इसीलिए हमारे विधायकों की सदस्यता समाप्त करके हमारे साथ दुश्मनी निकाली गयी है. केजरीवाल के ऐसे तमाशे उन्हें कब तक बचा सकते हैं.
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