गलत खान-पान और अंधाधुंध दवाइयाँ खाने से आम हो गयी किडनी फेल की बीमारी, बचना है तो पढ़ें

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नई दिल्ली, 7 अप्रैल: हमारे देश में गुर्दे फेल होने की बीमारी आम हो गयी है, हर अस्पताल में गुर्दे के मरीजों की भीड़ लग रही है, देखते ही देखते गुर्दे फ़ैल हो रहे हैं, एक बार गुर्दे फेल होने के बाद उनके इलाज में घर तक बेचना पड़ता है क्योंकि गुर्दे का इलाज बहुत मंहगा है, गुर्दे फेल होने के बाद मंहगी महंगी दवाइयों और इंजेक्शन के अलावा हप्ते में दो या तीन बार डायलिसिस करानी पड़ती है और देखते ही देखते आदमी कंगाल हो जाता है.

हमारे शरीर में दो गुर्दे होते हैं। गुर्दो में खराबी किसी भी उम्र हो सकती है। इसके दो प्रमुख कारण- डायबिटीज और हाईब्लड प्रेशर हैं। इसके अलावा दिल का रोग भी एक कारण होता है। ये सभी बीमारियाँ गलत खानपान की वजह से होती है, फ़ास्ट फ़ूड का चलन बढ़ रहा है, लोग खा खा कर मोटे हो रहे हैं जिसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर, लाइव, गैस की समस्या होती है, लोग अंधाधुंध दवाइयाँ खाने लगते हैं और ये दवाइयाँ गुर्दे को फेल कर देगी हैं.

गुर्दे को फेल होने से बचाने के लिए 9 ऐसे नियम हैं, जिन्हें अपनाकर गुर्दे की बीमारी से बचा जा सकता है। एक ताजा अनुमान है कि 17 प्रतिशत शहरी भारतीय गुर्दो के रोग से पीड़ित हैं। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि गुर्दो के क्षतिग्रस्त होने का पता लगाने के लिए पेशाब की जांच और गुर्दे कैसे काम कर रहे हैं, इसके लिए रक्त की जांच की जाती है। पेशाब की जांच से एल्बुमिन (Albumin) नामक प्रोटीन का पता चलता है, जो सेहतमंद गुर्दो में मौजूद नहीं होता।

उन्होंने बताया कि रक्त जांच ग्लूमेरुलर फिल्ट्रशन रेट (Glomerular Filtration Rate) की जांच करता है। यह गुर्दो की फिल्टर करने की क्षमता होती है। 60 से कम GFR गुर्दो के गंभीर रोग का संकेत होता है। 15 से कम GFR गुर्दो के फेल होने का प्रमाण होता है।

डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि गुर्दे की सेहत अच्छी बनाए रखने के लिए शरीर में पानी की उचित मात्रा रखनी होती है। इससे गुर्दो की लंबी बीमारी का खतरा बेहद कम हो जाता है। गुर्दो के रोग पाचनतंत्र के विकार और हड्डियों के रोग से जुड़े होते हैं और यह पेरिफेरल वस्कुलर रोगों, दिल के रोगों और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के लिए बड़े खतरे का कारण होते हैं।

गुर्दे को फेल होने से बचाने के 9 नियम :
  • तंदुरुस्त और सक्रिय रहें। इससे आपका रक्तचाप कम रहता है, जो गुर्दो की सेहत बनाए रखता है।
  • फ़ास्ट फ़ूड खाने से बचें, जीभ को कंट्रोल में रखें
  • ब्लड शूगर को नियमित रूप से नियंत्रित रखें, क्योंकि डायबिटीज वाले लोगों के गुर्दे क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। 
  • ब्लड प्रेशर की निगरानी रखें। यह गुर्दो की क्षति का आम कारण होते हैं। सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। 128 से 89 को प्रि-हाईपरटेंशन माना जाता है और इसमें जीवनशैली और खानपान में बदलाव करना होता है। 140/90 से अधिक होने पर अपने डॉक्टर से खतरों के बारे में बात करें। 
  • सेहतमंद खाएं और वजन नियंत्रित रखें। नमक का सेवन घटाएं, प्रतिदिन केवल 5 से 6 ग्राम नमक ही लेना चाहिए। इसके लिए प्रोसेस्ड और रेस्तरां से खाना कम से कम खाएं और खाने में ऊपर से नमक न डालें। अगर आप ताजा चीजों के साथ खुद खाना बनाएं, तो इससे बचा जा सकता है।
  • उचित तरल आहार लें : पारंपरिक ज्ञान प्रतिदिन डेढ़ से दो लीटर यानी तीन से चार बड़े गिलास पानी पीने की सलाह देता है। काफी मात्रा में तरल लेने से गुर्दो से सोडियम, यूरिया और जहरीले तत्व साफ हो जाते हैं, जिससे गुर्दो के लंबे रोग पैदा होने का खतरा काफी कम हो जाता है। लेकिन जरूरत से ज्यादा तरल भी न लें, क्योंकि इसके प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।
  • धूम्रपान न करें, इससे रक्त का बहाव कम होता है और इससे गुर्दो के कैंसर का खतरा भी 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।
  • अपनी मर्जी से दवाएं न खाएं। आईब्रूफेन जैसी दवाएं अगर नियमित तौर पर ली जाएं तो यह गुर्दो को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • अगर आपको एक या ज्यादा हाई रिस्क फैक्टर हैं, तो गुर्दो की कार्यप्रणाली की जांच जरूर करवाएं।
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