शेरदिल से नरमदिल हो गए मोदी, अब ना नक्सली डरते हैं ना पत्थरबाज

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New Delhi, 24 April: आपने देखा होगा कि जब मोदी शुरू शुरू में प्रधानमंत्री बने थे तो आतंकवादियों, पत्थरबाजों और जिहादी लोग मोदी के नाम से थर थर कांपते थे, पाकिस्तानी आतंकवादी तो मोदी के नाम से ही घबराते थे और हाफिज सईद के तो सपनों में मोदी आते थे, इसकी वजह यह थी कि मोदी को बहुत ही कट्टर हिन्दू, एंटी-जिहादी और मजबूत छवि का नेता मना जाता था, दो साल तक मोदी के नाम से देशद्रोही और आतंकवादी थर थर कांपते थे, आपने सुना होगा कि एक बार पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा था 'मोदी जब से आया सिर्फ काटने मारने की बात करता है, दादागिरी दिखाता है और पाकिस्तान को डराने की कोशिश करता है, उसे शायद पता नहीं है कि हमारे पास परमाणु बम है.

आपने यह भी देखा होगा कि मोदी के आते ही नक्सलियों ने आत्मसमर्पण करना शुरू कर दिया क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं मोदी उनके खिलाफ अभियान ना चला दे, दो साल तक हजारों नक्सलियों ने मोदी सरकार के सामने आत्मसमर्पण किया लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि मोदी हमारे खिलाफ कोई सैनिक कार्यवाही नहीं करेंगे उन्होंने पिछले एक महीने में ही दो बड़े हमले कर दिए और करीब 40 CRPF जवानों को मार दिया, 12 CRPF जवान पिछले महीने में सुकमा जिले में मारे गए थे और 30 जवान के करीब आज मार दिए गए हैं, दोनों घटनाएँ सुकमा जिले में हुई हैं.

आपने देखा होगा कि कश्मीर में पत्थरबाज लोग फौजियों को लात और जूते से मार रहे हैं और इधर नक्सली हमारे फौजियों को घेर घेर कर मार रहे हैं, अब मोदी सरकार से ना तो पत्थरबाज डर रहे हैं और ना ही नक्सली, दोनों तरह से सेना के जवान, CRPF जवान मारे जा रहे हैं, आपने कभी यह नहीं सुना होगा कि CRPF जवानों ने 100 नक्सलियों को घेरकर मार दिया क्योंकि मोदी सरकार उन्हें कभी कार्यवाही का आदेश ही नहीं देती, उन्हें सिर्फ अपना बचाव करने की इजाजत है, उन्हें अटैक करने और नक्सलियों को घेरकर मारने की इजाजत ही नहीं है.

अब ऐसा लग ही नहीं रहा है कि केंद्र में मोदी की शेरदिल वाली सरकार है, अब लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की सरकार है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट जो कहता है मोदी सरकार वही करती है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैलेट गन का विकल्प ढूंढो तो मोदी सरकार ने सैनिकों को प्लास्टिक बुलेट थमा दिया, अगर सुप्रीम कोर्ट को ही सरकार चलाना था तो मोदी सरकार का क्या काम है, यह सोचने का विषय है.

यही सब नक्सलियों के केस में देखने को मिल रहा है, एक साजिश के तहत नक्सलियों का आत्मसमर्पण कराया जाता है ताकि मोदी सरकार को ये लगे कि नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं इसलिए इनपर सैनिक कार्यवाही मत करो, यही सोचकर मोदी सरकार सैनिक कार्यवाही नहीं करती और वे हमारे सैनिकों को घेरकर मार देते हैं. मतलब एक दो नक्सलियों का आत्मसमर्पण कराकर नक्सली गैंग मोदी सरकार को मूर्ख बना रहा है और ये बेचारे फंस रहे हैं और शांत बैठे गए हैं, पहले मोदी को शेरदिल समझा जाता था लेकिन अब नरमदिल हो गए हैं. अब इनसे ना पत्थरबाज डरते हैं, ना जिहादी डरते हैं और ना ही नक्सली डरते हैं वरना अगर मोदी ठान लें तो नक्सलियों को चुन चुन कर मारा जा सकता है.
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