लखनऊ, 21 अप्रैल: आखिरकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भ्रष्ट अफसरों के चक्कर में फंस ही गए, कल उनके साथ भ्रष्ट अफसरों ने बहुत बड़ा धोखा किया, धोखा केवल योगी आदित्यनाथ के साथ ही नहीं हुआ बल्कि उत्तर प्रदेश की पूरी जनता और पूरे देश से किया गया और अगर योगी इन भ्रष्ट अफसरों की साजिश नहीं समझेंगे तो उत्तर प्रदेश की बर्बादी निश्चित है, समझ लिजिय जिस तरह से इन भ्रष्ट अफसरों ने मुलायम, मायावती और अखिलेश यादव को अपने झूठ-जाल में फंसा लिया उसी तरह से योगी आदित्यनाथ को भी फंसा लेंगे और उत्तर प्रदेश का विकास नहीं हो पाएगा.
जानकारी के लिए बता दें कि कल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झाँसी के एक सरकारी स्कूल का दौरा किया था, उनके दौरे के वक्त स्कूल एकदम साफ़ सुथरा दिखा, स्कूल में चमचमाती मेजें, चमचमाती बेंच लगी हुई थीं, देखकर योगी बहुत खुश हो गए, उन्होने टीचर से पूछा कि यहाँ पर फर्नीचर की व्यवस्था है तो टीचर ने कहा कि हाँ है, ये सब डोनेशन में मिला था. योगी स्कूल की चकाचौंध से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने खुद ही स्कूल की यह तस्वीर ट्विटर पर शेयर की.
आज जनपद झांसी भ्रमण के दौरान एक विद्यालय के विद्यार्थियों से शिक्षा सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की। pic.twitter.com/NyM2pK2DcO— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) April 20, 2017
अब आप समझिये इसमें साजिश क्या है, ये चमचमाती टेबल देखकर ही ऐसा लग रहा है कि ये हाल ही में खरीदी गयी हैं, मतलब अफसरों को पहले ही योगी के दौरे की जानकारी रही होगी और उन्होंने स्कूल में मेजें और बेंच खरीदकर रख दी होंगी ताकि उन्हें योगी की डांट ना सुननी पड़े. दूसरी बात, यूपी के भ्रष्ट अफसरों ने योगी को जान बूझकर इस स्कूल में आने को बोला होगा ताकि योगी को लगे कि - यार यूपी के स्कूल तो बहुत बढ़िया हैं, मेजें हैं, टेबल हैं, बच्चों के पास साफ़ सुथरे कपडे हैं, साफ़ सफाई होती है, पढ़ाई होती है.
असलियत यह नहीं है, असलियत योगी से छिपाई गयी, उत्तर प्रदेश के 90 फ़ीसदी स्कूलों में आज भी फर्नीचर नहीं हैं, टेबल और बेंच नहीं हैं, बच्चों को टाट पर या चटाई पर बैठना पड़ता है और कई स्कूलों में तो बच्चे खुद ही अपने घर से बैठने के लिए कुछ ले आते हैं. यूपी के 90 फ़ीसदी स्कूलों में आज भी माता पिता अपने बच्चों को इसलिए नहीं भेजना चाहते क्योंकि वहां पर ना तो कुर्सी है, ना तो टेबल है, ना तो बेंच है, ना सफाई होती है, ना टॉयलेट है, ना पढ़ाई होती है, ना बढ़िया खाना मिलता है.
अब आप खुद सोचिये, जो अफसर योगी से असलियत छिपाना चाहते हैं और स्कूलों को अच्छा दिखाना चाहते हैं क्या तो उत्तर प्रदेश के दुश्मन नहीं हैं, आश्चर्य इस बात का है कि योगी भी उनके चक्कर में फंस गए, योगी को बिना किसी को बताये ही किसी स्कूल का दौरा करना था, उन्हें चुपचाप किसी स्कूल में जाना चाहिए था ताकि वे स्कूलों की सच्चाई देख पाते, उन्हें समझ में आ जाता कि स्कूलों की हालत क्या है और क्यों माँ-बाप अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में क्यों पढ़ाना नहीं चाहते.
असलियत यह है कि उत्तर प्रदेश के 90 फ़ीसदी स्कूल आज ही बंद कर दिए जाँय तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि इन स्कूलों में 10-20 बच्चों से अधिक पढने के लिए आते ही नहीं हैं, अभिभावकों ने मजबूर होकर पहले ही अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भर्ती करा दिया है और उनके हाथों से लुट रहे हैं, उत्तर प्रदेश के 90 फ़ीसदी स्कूलों में केवल अति-गरीब वर्ग के बच्चे पढने आते हैं और उसमें से 50 फ़ीसदी बच्चे केवल दोपहर में भोजन करने के लिए, कुछ एक जोड़ी कपडे के लिए आते हैं.
अब योगी से सच्चाई छुपा ली गयी है, अगर योगी समझ रहे होंगे कि सरकारी स्कूल बहुत बढ़िया हैं, चमचमाती मेजें हैं, चमचमाती बेंच हैं, बच्चों के पास कपडे हैं, किताब हैं और बढ़िया खाना मिलता है तो वे भ्रष्ट अफसरों के चक्कर में फंस गए हैं, इन भ्रष्ट अफसरों ने ऐसी ही साजिश मुलायम, मायावती और अखिलेश के साथ की होगी तभी उत्तर प्रदश की शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो पाएगा. अच्छा होगा कि योगी किसी को बिना बताये उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के सरकारी स्कूलों का दौरा करें, उन्हें असलियत समझ में आ जाएगी.
इसमें एक और आश्चर्य की बात है, एक महीने पहले BJP वाले ही शिक्षा को बड़ा मुद्दा बना रहे थे, एक महीने में स्कूलों में इतनी चमक दमक देखकर ही योगी को समझ जाना चाहिए था, यह फोटो देखकर तो पूरी दुनिया यही कहेगी कि अखिलेश सरकार ने बहुत काम करवाया था, लेकिन योगी इस बात को समझ नहीं सके और अधिकारियों के झांसे में फंस गए.
इसमें एक और आश्चर्य की बात है, एक महीने पहले BJP वाले ही शिक्षा को बड़ा मुद्दा बना रहे थे, एक महीने में स्कूलों में इतनी चमक दमक देखकर ही योगी को समझ जाना चाहिए था, यह फोटो देखकर तो पूरी दुनिया यही कहेगी कि अखिलेश सरकार ने बहुत काम करवाया था, लेकिन योगी इस बात को समझ नहीं सके और अधिकारियों के झांसे में फंस गए.
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