नई दिल्ली, 19 अप्रैल: राम मंदिर समर्थकों के लिए आज एक बुरी खबर है क्योंकि राम मंदिर आन्दोलन की अगुवाई करने वाले बीजेपी के सभी बड़े नेताओं - लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और विनय कटियार पर बाबरी विध्वंश मामले में आपराधिक साजिश रचने का मामला चलाने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यह केस रायबरेली और लखनऊ दोनों जगह चल रहा है इसलिए अब अलग अलग मामलों को जोड़ दिया जाए और रायबरेली में चल रहा मुकदमा भी लखनऊ में ही चलाया जाए. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले की सुनवाई 2 साल के अन्दर पूरी की जाएगी और दो साल के अन्दर ही फैसला भी सुना दिया जाएगा.
यह बीजेपी के लिए वाकई में बहुत निराश कर देने वाली खबर है, बीजेपी सांसद विनय कटियार ने तो इसे CBI की बीजेपी के खिलाफ साजिश बता दिया है. विरोधी लोग तो मोदी सरकार की हंसी भी उड़ा रहे हैं, लालू यादव ने कहा है कि मोदी सरकार अपने नेताओं को भी नहीं बचा सकी, ऐसा लग रहा है कि मोदी खुद ही आडवानी और जोशी को रास्ते से हटाना चाहते हैं
जानकारी के लिए बता दें कि लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को बीजेपी की तरफ से अगले राष्ट्रपति का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा है, कल्याण सिंह वर्तमान में राजस्थान के गवर्नर हैं इसलिए उनपर मुकदमा नहीं चल सकता. हालाँकि कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने उमा भारती और कल्याण सिंह का इस्तीफ़ा माँगा है.
CBI ने की थी आपराधिक साजिश का मामला जोड़ने की अपील
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इन नेताओं पर आपराधिक साजिश का मामला जोड़ने की सिफारिश CBI ने की थी जिसे विपक्षी लोग मोदी का तोता बोलते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ CBI की अपील स्वीकार की है उन्होंने अपने आप से कुछ नहीं किया, इसीलिए विनय कटियार ने इसे बीजेपी के खिलाफ CBI की साजिश बताया है.
रिपोर्ट के अनुसार CBI ने कोर्ट में दलील दी थी कि बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और अन्य 13 बीजेपी नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का केस चलना चाहिए.
यह भी चौंकाने वाली बात है कि इससे पहले तकनीकी आधार पर इन नेताओं के खिलाफ मामला रद्द कर दिया गया था इसके बावजूद भी CBI ने दोबारा से इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज करा दिया.
जानकारी के लिए बता दें कि लखनऊ में कार सेवकों के खिलाफ मामला चल रहा है जबकि रायबरेली में बीजेपी नेताओं के खिलाफ मामला चल रहा है.
कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले की रोजाना सुनवाई की जाए तो पूरी प्रक्रिया 2 साल के अन्दर पूरी कर ली जाए.
क्या है बाबरी विध्वंश मामला
1992 में अयोध्या में बाबरी ढांचा गिरा दिया गया था और उसके स्थान पर राम की मूर्ति रख दी गयी थी, आन्दोलन की अगुवाई लाल कृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह समेत बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद् के कई नेता कर रहे थे और घटना के वक्त ये नेता मंच पर मौजूद थे.
उस घटना को लेकर दो मामले दर्ज किये गए थे, एक मामला मंच पर मौजूद नेताओं के खिलाफ रायबरेली कोर्ट में दर्ज (केस नंबर 198) किया गया था और दूसरा मामला कार सेवकों के खिलाफ लखनऊ में (केस नंबर 197) दर्ज किया गया था, कार सेवकों पर मामले की जांच UP CID को दिया गया था जबकि बीजेपी नेताओं के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी CBI के हाथों में थी, उस वक्त बीजेपी नेताओं पर धारा 120B यानी (आपराधिक साजिश रचना) नहीं लगाई गयी थी लेकिन CBI की सिफारिश पर 25 साल बाद इन नेताओं पर यह मामला भी जोड़ दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यह केस रायबरेली और लखनऊ दोनों जगह चल रहा है इसलिए अब अलग अलग मामलों को जोड़ दिया जाए और रायबरेली में चल रहा मुकदमा भी लखनऊ में ही चलाया जाए. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले की सुनवाई 2 साल के अन्दर पूरी की जाएगी और दो साल के अन्दर ही फैसला भी सुना दिया जाएगा.
यह बीजेपी के लिए वाकई में बहुत निराश कर देने वाली खबर है, बीजेपी सांसद विनय कटियार ने तो इसे CBI की बीजेपी के खिलाफ साजिश बता दिया है. विरोधी लोग तो मोदी सरकार की हंसी भी उड़ा रहे हैं, लालू यादव ने कहा है कि मोदी सरकार अपने नेताओं को भी नहीं बचा सकी, ऐसा लग रहा है कि मोदी खुद ही आडवानी और जोशी को रास्ते से हटाना चाहते हैं
जानकारी के लिए बता दें कि लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को बीजेपी की तरफ से अगले राष्ट्रपति का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा है, कल्याण सिंह वर्तमान में राजस्थान के गवर्नर हैं इसलिए उनपर मुकदमा नहीं चल सकता. हालाँकि कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने उमा भारती और कल्याण सिंह का इस्तीफ़ा माँगा है.
CBI ने की थी आपराधिक साजिश का मामला जोड़ने की अपील
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इन नेताओं पर आपराधिक साजिश का मामला जोड़ने की सिफारिश CBI ने की थी जिसे विपक्षी लोग मोदी का तोता बोलते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ CBI की अपील स्वीकार की है उन्होंने अपने आप से कुछ नहीं किया, इसीलिए विनय कटियार ने इसे बीजेपी के खिलाफ CBI की साजिश बताया है.
रिपोर्ट के अनुसार CBI ने कोर्ट में दलील दी थी कि बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और अन्य 13 बीजेपी नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का केस चलना चाहिए.
यह भी चौंकाने वाली बात है कि इससे पहले तकनीकी आधार पर इन नेताओं के खिलाफ मामला रद्द कर दिया गया था इसके बावजूद भी CBI ने दोबारा से इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज करा दिया.
जानकारी के लिए बता दें कि लखनऊ में कार सेवकों के खिलाफ मामला चल रहा है जबकि रायबरेली में बीजेपी नेताओं के खिलाफ मामला चल रहा है.
कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले की रोजाना सुनवाई की जाए तो पूरी प्रक्रिया 2 साल के अन्दर पूरी कर ली जाए.
क्या है बाबरी विध्वंश मामला
1992 में अयोध्या में बाबरी ढांचा गिरा दिया गया था और उसके स्थान पर राम की मूर्ति रख दी गयी थी, आन्दोलन की अगुवाई लाल कृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह समेत बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद् के कई नेता कर रहे थे और घटना के वक्त ये नेता मंच पर मौजूद थे.
उस घटना को लेकर दो मामले दर्ज किये गए थे, एक मामला मंच पर मौजूद नेताओं के खिलाफ रायबरेली कोर्ट में दर्ज (केस नंबर 198) किया गया था और दूसरा मामला कार सेवकों के खिलाफ लखनऊ में (केस नंबर 197) दर्ज किया गया था, कार सेवकों पर मामले की जांच UP CID को दिया गया था जबकि बीजेपी नेताओं के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी CBI के हाथों में थी, उस वक्त बीजेपी नेताओं पर धारा 120B यानी (आपराधिक साजिश रचना) नहीं लगाई गयी थी लेकिन CBI की सिफारिश पर 25 साल बाद इन नेताओं पर यह मामला भी जोड़ दिया गया है.
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