महालूट का पर्दाफाश, मेडिकल स्टोर पर अगर आप पक्का बिल नहीं मांगते तो समझ लो खुद को लुटवा रहे हैं

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New Delhi, 29 March: अगर आप Medical Store या Chemist Shop पर दवा खरीदने के बाद पक्का बिल नहीं मांगते तो समझ लो मेडिकल स्टोर वाला आपको लूट रहा है और आप खुद को लुटवा रहे हैं, अक्सर देखने में आता है कि ज्यादातर लोग मेडिकल स्टोर पर दवा खरीदने के बाद जब दवा के पैसे पूछते हैं तो मेडिकल स्टोर वाला दवा के पीछे जितना लिखा होता है उतने ही पैसे मांगता है, मान लोग दवा के पीछे 100 रुपये लिखे हैं तो मेडिकल स्टोर वाला 100 रुपये बता देता है और लोग जेब से 100 रुपये का नोट निकालकर दे देते हैं और घर चले जाते हैं। 

लेकिन कभी आप पहले दवा के पैसे पूछें और बाद में पक्का बिल मांगें तो मेडिकल स्टोर वाला अपने आप बिल में दवा का रेट कम कर देता है, अगर आप कैशलेस पेमेंट करें और पक्का बिल मांगें तो मेडिकल स्टोर वाला पहले आपने 100 रुपये मांग रहा होगा तो बिल मांगने पर 75 रूपए ही मांगेगा, और आपने 25 रुपये लुटने से बच जाते हैं, अब 25 रुपये गरीबों के लिए बड़ी बात होती है, एक टाइम की सब्जी खरीद सकते हैं, अमीर लोगों को लूटा जाए तो चल जाता है, बईमानी से पैसे कमाने वालों को भी लूटा जाए तो चल जाता है लेकिन मेडिकल स्टोर वाले ज्यादातर गरीबों को लूटते हैं जो कि बहुत गलत बात है। 

हम आज की बात बता रहे हैं, हमने मेडिकल स्टोर पर दवा खरीदी, हमें तो पता है कि मेडिकल स्टोर वाले लूटते हैं इसीलिए हम उनकी पोल खोलने के लिए अपनी पहचान छुपाकर दवा खरीदते हैं। हमने मेडिकल स्टोर पर दवा खरीदने के बाद दाम पूछा, हमने दो तरह की दवा खरीदी - पहले 1 पत्ता Atten 25 जिसके पत्ते पर 30 रूपया लिखा था और दूसरी Amlopin 5 की 30 गोलियां माँगी, जिसके पत्ते पर 24 रुपये लिखा था, 3 पत्ता खरीदने पर उसका दाम हुआ 72 रुपये, दोनों का दाम जोड़कर हुआ 102 रुपये। 

जब हमने मेडिकल स्टोर वाले से दोनों दवाओं का दाम पूछा तो उसने बताये 102 रुपये, उसके बाद हमने उसे कहा कि इसका पक्का बिल बना दो मुझे कहीं पर जमा करना है, उसके बाद उसनें दवा का दाम अपने आप कम कर दिया, पहले 102 रूपया मांग रहा था लेकिन उसके बाद 79 रुपये बताया। 

उसके बाद मैंने Dabit Card/ ATM कार्ड से पेमेंट किया तो दवा के दाम में 7 रुपये और कम हो गए, शायद मोदी सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए दवा के दाम में कुछ छूट दे रही है। 

अब आप खुद सोचिये, अगर मैं मेडिकल स्टोर वाले को 102 रुपये देकर घर चला आता और पक्का बिल ना मांगता तो मेरे 30 रुपये लुट जाते, अगर मैं कैश पेमेंट करता तो मुझे 79 रुपये देने पड़ते लेकिन मैंने कैशलेस पेमेंट किया और पक्का बिल माँगा तो मुझे 102 की जगह केवल 72 रुपये देने पड़े। ऊपर फोटो में साफ़ साफ़ देखा जा सकता है। 

इससे कुछ दिन पहले हमने Ketosteril Tablet का एक पत्ता खरीदा था और पक्का बिल माँगा था, पत्ते पर दवा का दाम 698 रुपये लिखा था लेकिन बिल मांगने के बाद यही दावा केवल 550 रूपए में मिली, मतलब दवा के दाम में 148 रुपये बच गए। देखिये फोटो। 
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अभी भी 80 फ़ीसदी लोग मेडिकल स्टोर पर दवा का बिल नहीं मांगते, कई लोग पक्का बिल मांगने में शर्माते हैं और मेडिकल स्टोर वाला पत्ते पर जितना लिखा होता है उतना मांग लेता है, लोग पूरा पैसा देकर चले आते हैं लेकिन आप सोचिये, अगर Ketosteril खरीदने के बाद उसका पक्का बिल माँगा जाए तो 148 रुपये बच जाते हैं, गरीबों के लिए 148 रुपये बहुत बड़ी रकम होती है, अमीर और बेईमान अगर लुटते हैं तो उनको टेंशन नहीं होती है क्योंकि वे बेईमानी करके फिर से पैसा कमा लेते हैं लेकिन मेडिकल स्टोर वाले ज्यादातर गरीबों को ही लूटते हैं क्योंकि गरीब लोग ही पक्का बिल मांगने में शर्म करते हैं और कैशलेस पेमेंट का मजाक उड़ाते हैं। 

दवाओं पर MRP अधिक क्यों लिखा होता है

बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि 80 फ़ीसदी दवाओं के पत्ते पर MRP कई गुना अधिक लिखा होता है, मतलब अगर दवा के पत्ते पर 100 रुपये लिखा होता है तो मेडिकल स्टोर वालों को वही दवा 10, 20 या 50 रुपये में मिलती है, मेडिकल स्टोर वालों को दवा के दाम में केवल 10% कमाने का अधिकार है, मतलब अगर वे दवा 10 रुपये में खरीदते हैं और पत्ते पर 100 रुपये लिखा है तो मेडिकल स्टोर वालों को 10 रुपये वाली दवा केवल 11 रुपये में बेचने का अधिकार है, अगर वे 80 रुपये का पत्ता खरीद रहे हैं तो उन्हें केवल 88 रुपये में बेचकर 8 रुपये कमाने का अधिकार है लेकिन अगर आप मेडिकल स्टोर वालों से बिल नहीं मांगोगे तो 10 रुपये की दवा के 100 रुपये ले लेंगे, जितना लिखा है उतना लेंगे और आप लुट जाओगे। 

10, 20 या 30 रुपये की दवा में अगर मेडिकल स्टोर वाले दो चार रुपये लूट लेते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता और लोग इतना ध्यान भी नहीं देते, दिक्कत तो तब आती है जब हजारों रुपये की दवा खरीदनी पड़ती है, ऐसे में अगर 1000 की दवा 5000 हजार में बेचकर आपसे मेडिकल स्टोर वाले 4000 रुपये लूट लेते हैं तो बहुत पीड़ा होती है। इसलिए हमारी बात मानकर आप आज से ही मेडिकल स्टोर वालों से पक्का बिल माँगना शुरू कर दीजिये, इसके अलावा आप हमेशा कैशलेस पेमेंट कीजिये और लुटने से खुद को बचाइये क्योंकि ये रुपये बहुत मेहनत से कमाए जाते हैं. अगर आप इमानदार हैं तो जरूर हमारी बात मानिए। 

80 फ़ीसदी डॉक्टर भी लूट में शामिल 

भारत के 80 फ़ीसदी डॉक्टर भी इस बेईमानी और लूट के खेल में शामिल हैं क्योंकि प्राइवेट डॉक्टर अपने मरीजों को ज्यादातर वही दवाएं लिखते हैं जिसपर MRP अधिक लिखा होता है, मतलब 10 वाली दवा के पत्ते पर 100 रुपये लिखे होते हैं, मेडिकल स्टोर वाला मरीज से 100 रुपये मांगता है और मेडिकल स्टोर वाला डॉक्टर को 70-80 रुपये कमीशन देता है, इसी तरफ से हर डॉक्टर की रोजाना हजारों रुपये की कमाई होती है और यह कालेधन के खाते में जाता है क्योंकि डॉक्टर इस कमाई पर टैक्स नहीं देते और ना ही सरकार को यह कमाई दिखाते हैं लेकिन अगर आप मेडिकल स्टोर वालों से पक्का बिल माँगना शुरू कर दोगे तो डॉक्टरों का यह खेल भी बंद हो जाएगा। 
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