क्या 5000 रुपये के स्मार्टफोन के लालच में UP के युवक बेच देंगे अपना जमीर और स्वाभिमान: पढ़ें

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Lucknow, 24 January: देश की 80 फ़ीसदी आबादी को अभी भी नहीं पता है कि उनके वोट की ताकत क्या होती है इसलिए अभी भी 80 फ़ीसदी लोग लालच में आकर किसी भी पार्टी को वोट दे देते हैं इसी बात का नतीजा है कि विकास में लगने वाले पैसे को राजनीतिक पार्टियाँ खा जाती हैं और जनता विजली, पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहती हैं। 

एक उदाहरण के जरिये समझिये, मान लीजिये राज्य के बजाय किसी गाँव में चुनाव होने वाला है, चुनाव के बाद जीतने वाले नेता को गाँव के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये मिलेंगे, इन रुपयों से गाँव में सड़कें, नालियां, पानी की व्यवस्था, सफाई की व्यवस्था, बिजली की व्यवस्था, बढ़िया स्कूल और अस्पताल बनाये जा सकेंगे। मान लीजिये किसी चालाक नेता ने गाँव के 1000 वोटरों के लिए 5000 के स्मार्टफोन का लालच दे दिया। इस काम में नेता के सिर्फ 50 लाख रुपये खर्च होंगे। वोटरों को लालच देने में खर्च होंगे 50 लाख और विकास के लिए मिलेंगे 10 करोड़। 

अब मान लीजिये सभी वोटरों ने स्मार्ट फोन के लालच में चालाक नेता को वोट दे दिया और वो नेता चुनाव जीत गया। अब वो नेता चुनाव के बाद सभी वोटरों को 50 लाख रुपये खर्च करके स्मार्ट फोन तो दे देगा लेकिन उसके बाद गाँव का विकास नहीं कराएगा और 10 करोड़ में से आधा यानी 5 करोड़ घोटाला करके खा जाएगा। बचेंगे 4.5 करोड़ रुपये। इन रुपयों से वह कमजोर सड़कें बनाएगा जो दो चार महीने में टूट जाएंगी और गाँव वालों को गड्ढे में चलना पड़ेगा, इसके बाद 5000 से अधिक उनका पेट्रोल खर्च हो जाएगा, खराब सड़कें होने के कारण ऑटो वाले गाँव में आने से डरेंगे और डबल किराया मांगेंगे। गाँव में ना तो अच्छे स्कूल होंगे, ना अच्छे अस्पताल बन पाएंगे, ना पानी और बिजली की व्यवस्था हो पाएगी। हर तरफ बर्बादी होगी, हर तरफ भ्रष्टाचार होगा। 

यही काम उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में हो रहा है, जनता लैपटॉप, स्मार्टफोन और प्रेशर कूकर के लालच में भ्रष्ट पार्टियों को वोट दे देती है और पांच साल बिजली, पानी, स्कूल और अच्छे अस्पतालों के लिए रोती रहती है, स्कूलों की हालत खस्ताहाल है, ना तो अच्छी यूनिवर्सिटी हैं और ना ही अच्छे कॉलेज, विकास ना होने से राज्य में निवेश नहीं आ पाता, लोग कम्पनियाँ नहीं लगाते जिसकी वजह से युवाओं को रोजगार नहीं मिलता, केवल 5000 रुपये के लालच में जनता की पांच साल की जिन्दगी खराब हो जाती है, इसके बाद युवा दूसरे राज्य में जाकर मजदूरी करते हैं, अपना घर बार, माँ-बाप, पत्नी-बच्चों को छोड़कर दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए जाना पड़ता है और यह सब स्मार्टफोन और लैपटॉप के लालच में होता है। 

आने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर से स्मार्टफोन का लालच दिया है, पिछले पांच वर्षों में वे ना तो विकास करा पाए, ना 24 घंटे बिजली दे पाए, ना किसानों के लिए कुछ कर पाए, ना स्कूलों की हालत सुधार पाए, ना अच्छे अस्पताल बनवा पाए, ना गांवों का विकास करा पाए, केवल लखनऊ, मेट्रो, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और छात्रों को लैपटॉप देने के अलावा उन्होंने ज्यादातर कुछ नहीं किया। 

अब देखना यह है कि क्या उत्तर प्रदेश के डेढ़ करोड़ युवा 5000 के लालच में अपना जमीर, अपना स्वाभिमान और अपने सपनों को बेच देंगे या विकास के लिए बीजेपी को वोट देंगे। 
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