बुरे फंसे पूर्व CBI निदेशक रंजीत सिन्हा, कोयला घोटाले में पद के दुरूपयोग के जांच का आदेश

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नई दिल्ली, 23 जनवरी: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा को एजेंसी के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ जांच का आदेश दिया। न्यायालय ने सिन्हा के खिलाफ प्रथमदृष्टया पद के दुरुपयोग के आरोप को लेकर यह आदेश दिया है। सिन्हा के कार्यकाल में 2जी और कोयला घोटाला मामलों की जांच हुई थी, तब उन्होंने इन मामलों से जुड़े आरोपियों से मुलाकात की थी।

न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी ने सीबीआई तथा इसके नए निदेश आलोक वर्मा पर भरोसा जताते हुए एनजीओ 'कॉमन कॉज' द्वारा मामले की किसी बाहरी जांच एजेंसी से जांच कराने की याचिका नामंजूर कर दी।

अदालत का यह आदेश सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक एम.एल.शर्मा द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट के बाद आया है। शर्मा ने सिन्हा के कार्यकाल में उनके आधिकारिक आवास में रखे आगंतुक प्रवेश रजिस्टर समेत मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच की है।

न्यायालय ने शर्मा से कोयला घोटाले में सीबीआई के निदेशक के आरोपियों तथा अन्य के साथ हुई बैठक की जांच करने के लिए कहा था।

जांच एजेंसी को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) की तरह पेश आने के लिए कहते हुए न्यायमूर्ति लोकुर ने फैसले में कहा, "हमारी राय में, चूंकि सीबीआई के निदेशक बदल चुके हैं, इसलिए हम एम.एल.शर्मा द्वारा तैयार रिपोर्ट तथा अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों की जांच को लेकर सीबीआई की निष्पक्षता में विश्वास बरकरार रखेंगे और यह सिन्हा के खिलाफ प्रथमदृष्टया पद के दुरुपयोग के आरोपों की एक एसआईटी की तरह जांच करेगी।"

सिन्हा पर लगे पद के दुरुपयोग के आरोप की जांच का निर्देश देते हुए न्यायालय ने 14 मई, 2015 के अपने उस आदेश का स्मरण किया, जिसमें उसने कहा था कि जांच अधिकारी या जांच दल की अनुपस्थिति में कोल ब्लॉक आवंटन मामले के आरोपियों से सिन्हा की मुलाकात पूरी तरह अनुचित है। 

शीर्ष न्यायालय ने 14 मई, 2015 के आदेश में शर्मा से सिन्हा के आचरण की जांच करने को कहा था।

सीबीआई निदेशक से सिन्हा पर लगे आरोप की जांच करने के लिए कहते हुए न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, "सीबीआई निदेशक के नेतृत्व में एसआईटी, न्यायालय को सूचित कर निदेशक द्वारा नामित सीबीआई के दो अधिकारियों की सहायता ले सकता है।"

न्यायालय ने कहा, "जांच के संदर्भ में सीबीआई निदेशक मुख्य सतर्कता आयुक्त को भी भरोसे में लेंगे।"

न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि नए सीबीआई निदेशक मामले के कानूनी पहलुओं से अनभिज्ञ हैं, इसलिए वरिष्ठ अभिवक्ता आर.एस. चरमा जांच में उनके सहायक होंगे। चरमा 2जी घोटाला मामलों में विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) हैं।
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