अखिलेश और मुलायम सिंह ने क्यों शुरू की है नौटंकी, इनका प्लान सुनकर आप हों जाएंगे हैरान: पढ़ें

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Lucknow, 31 December: उत्तर प्रदेश में इस वक्त अखिलेश यादव और मुलायम-शिवपाल ने बहुत बड़ी नौटंकी शुरू की है ताकि उत्तर प्रदेश की जनता का ध्यान इनके कुकर्मों से हटकर केवल नौटंकी पर केन्द्रित हो जाए और ये लोग जनता को इमोशनल ब्लैकमेल करके चुनाव जीत लें, ये लोग उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हवा से बहुत डरे हुए हैं इसलिए अपनी कुर्सी को बचाने के लिए दूसरा रास्ता अपनाया है। 

इस वक्त समाजवादी पार्टी गुंडों और माफियाओं की पार्टी मानी जाती है और उत्तर प्रदेश की 80 फ़ीसदी आबादी भी यही मानती है, आज खुद राम गोपाल यादव ने समाजवादी पार्टी को गुंडों की पार्टी बताया। 

मुलायम सिंह भी जानते हैं कि जनता में मन में समाजवादी की छवि गिर गयी है और इसे गुंडों की पार्टी माना जाने लगा है, अगर कुछ किया नहीं गया तो समाजवादी पार्टी की हार तय है। इसीलिए ये नौटंकी हो रही है। 

नौटंकी के पहले पार्ट में अखिलेश और मुलायम सिंह ने अपने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है, मुलायम सिंह की लिस्ट में कई दागी और गुंडे उम्मीदवार हैं जबकि अखिलेश की लिस्ट में साफ़ छवि के उम्मीदवार हैं। 

नौटंकी के दूसरे पार्ट में मुलायम सिंह ने अखिलेश और राम गोपाल यादव को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया ताकि जनता में यह सन्देश जाए कि अखिलेश यादव को इसलिए पार्टी से निकाला गया क्योंकि वे साफ़ छवि के उम्मीदवारों को टिकट दे रहे हैं जबकि मुलायम और शिवपाल गुंडों को टिकट दे रहे हैं। 

अब मुलायम सिंह और अखिलेश चाहते हैं कि जनता में इमानदार लोग अखिलेश को सपोर्ट करें यह समझकर कि अखिलेश इमानदार नेता हैं और इन्होंने इमानदारों को टिकट दिया है मतलब इन्होने, जबकि जनता में बेईमान धडा मुलायम सिंह को सपोर्ट करे। 

उदाहरण के लिए, मुलायम सिंह ने अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के परिवार को टिकट दिया है, अगर अखिलेश यादव मुलायम सिंह के साथ ही रहते और अपनी लिस्ट ना जारी करते तो जनता में यह सन्देश जाता कि समाजवादी पार्टी गुंडों माफियाओं को टिकट देती है, अगर इन्हें वोट दिया गया तो गुंडाराज वापस आएगा, खासकर हिन्दू लोग मुलायम सिंह को वोट देने से परहेज करते और इनकी जगह BJP को वोट देते।

इसीलिए अखिलेश यादव को अलग लिस्ट जारी करने के लिए कहा गया जिसमें केवल साफ़ छवि के उम्मीदवार हैं। अब अगर दोनों अलग अलग चुनाव लड़ेगे तो इमानदार लोग अखिलेश यादव को वोट देंगे जबकि मुख्तार और अतीक अहमद को टिकट दिए जाने से सभी मुसलमान मुलायम सिंह को वोट देंगे। अगर दोनों लोग 100 सीटें भी जीत लेते हैं तो बाद में फिर से हाथ मिला लेंगे और अखिलेश यादव फिर से मुख्यमंत्री बन जाएंगे।

खुद सोचिये, अगर अखिलेश और मुलायम साथ होते और एक ही लिस्ट जारी की जाती, मान लीजिये ये लोग अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी को टिकट ना देते तो मायावती उन्हें अपनी पार्टी से टिकट दे देतीं और सभी मुस्लिम वोटर मायावती की तरफ मुड़ जाते, अगर अखिलेश इनके साथ होते और अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का विरोध ना करते तो समाजवादी पार्टी को मुस्लिमों के वोट मिलते लेकिन हिन्दुओं के वोट ना मिलते, इस हालत वोटों का ध्रुवीकरण होता और लोकसभा लोकसभा चुनावों की तरह BJP की जीत होती। 

मतलब इन्होने जनता को BJP की तरफ जाने से रोकने के लिए यह नौटंकी शुरू की है जिसमें एक ने इमानदारी की टोपी पहली है जबकि दूसरी ने गुंडों की टोपी पहनी है। ये चाहते हैं कि जो लोग सपा को गुंडों की पार्टी समझकर वोट ना देने का मन बना चुके हैं वह अखिलेश यादव को इमानदार समझकर वोट दें जबकि गुंडे छवि के लोग मुलायम सिंह वोट वोट दें ताकि दोनों लोग मिलकर 200 से अधिक सीटें जीत लें और फिर से सरकार बना लें। 
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