कोर्ट में केजरीवाल की फिर फजीहत, चुनावों में गलत जानकारी देने का जुर्म, 10 हजार में मिली जमानत

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नई दिल्ली, 24 दिसम्बर: ऐसा लगता है कि अरविन्द केजरीवाल का जीवन छल, कपट, झूठ और धोखाधड़ी से भरा पड़ा है, कभी उनपर गलत जानकारी देने का आरोप लगता है, कभी जानकारी छिपाने का आरोप लगता हिया, कभी वे दूसरों पर झूठे आरोप लगाते हैं, कभी उनपर आपराधिक मानहानि के मामले दायर होते हैं, हर महीने उन्हें किसी ना किसी मामले में कोर्ट में जाना होता है और हर महीने वे 10-50 हजार रुपये जमानत लेने में खर्च करते हैं, मतलब अगर केजरीवाल के पास हर साल 2 लाख रुपये जमानत लेने के लिए ना हों तो उन्हें अपनी पूरी जिन्दगी जेल में गुजारनी पड़े।

आज दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले हलफनामे में कथित तौर पर 'भ्रामक सूचना' देने के मामले में जमानत दे दी है। महानगर दंडाधिकारी आशीष गुप्ता ने केजरीवाल के अधिवक्ताओं ऋषिकेश कुमार और इरशाद द्वारा पेश की गई याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत दे दी।

अदालत ने केजरीवाल को 10,000 रुपये का निजी बांड भरने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई सात अप्रैल, 2017 को होगी।

एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने अपने सही पते की जानकारी छिपाकर और अपनी संपत्ति के बारे में गलत जानकारी देकर जानबूझकर चुनाव आयोग को भ्रमित किया। एनजीओ द्वारा दायर याचिका के बाद केजरीवाल के खिलाफ समन जारी कर उन्हें अदालत के समक्ष पेश होना पड़ा था।

अदालत ने कहा कि सही पते की जानकारी छिपाने के लिए हलफनामे में गलत पता देना और संपत्ति का गलत ब्यौरा देने का मामला प्रथम दृष्टया जानबूझकर किया गया लगता है, ताकि सही जानकारी का पता नहीं चल सके। इस तरह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए के तहत (गलत हलफनाम दायर करने के लिए दंड) और भारतीय दंड संहिता की धारा 177 (गलत जानकारी देना) के तहत आरोपी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार हैं।

यह शिकायत एनजीओ मौलिक भारत ट्रस्ट ने दर्ज कराई थी। इस एनजीओ से जुड़े नीरज सक्सेना और अनुज अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने अपनी संपत्ति के बारे में गलत जानकारी दी और जानबूझकर गाजियाबाद के इंदिरापुरम में अपने घर का गलत पता दर्ज कराया। 

याचिका में दलील दी गई है कि जानबूझकर सही पते की जानकारी छिपाना और अपनी संपत्ति का सही ब्यौरा उजागर नहीं करना जनप्रतिनिधि कानून अधिनियम 1951 की धारा 125ए के तहत अपराध है और इसके तहत छह महीने की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
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Delhi

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