केजरीवाल ने चंडीगढ़ चुनावों से भागकर बढ़िया, वर्ना औकात पता चल जाती, बेइज्जती भी होती

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चंडीगढ़, 21 दिसंबर: अरविन्द केजरीवाल पिछले कई महीनों से प्रोजेक्शन करते आ रहे हैं कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की 117 सीटों में से कम से कम 110 सीटों पर विजय होने वाली है और उनकी आंधी में बीजेपी, अकाली दल और कांग्रेस उड़ने वाली हैं। इसी भरोसे से केजरीवाल चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में भी लड़ने का मन बनाया था, केजरीवाल ने कई रैलियां भी की थी लेकिन एन वक्त पर वे चुनावों से भाग लिए, उनके सभी उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़े और सब के सब बीजेपी की आंधी में उड़ गए।

चंडीगढ़ चुनावों से भागकर केजरीवाल ने बढ़िया काम किया, अगर वे चुनाव लड़ते तो उन्हें उनकी औकात भी पता चल जाती और बेइज्जती भी होती, उन्हें इसका नुकसान पंजाब विधानसभा चुनावों में भी होता क्योंकि सब के सब यही सोचते ही केजरीवाल में कोई दम नहीं है, इनकी औकात चंडीगढ़ में पता चल गयी।

चंडीगढ़ में बीजेपी की आंधी में कांग्रेस पार्टी उड़ गयी, बीजेपी ने 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें 20 सीटों पर जीत मिली, अकाली दल ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उन्हें केवल 1 सीट पर जीत मिली। अगर बीजेपी इन चारों सीटों पर भी चुनाव लडती तो उन्हें या तो अभी पर या चार में से 2-3 सीटें जरूर मिलती। कांग्रेस को इसका फायदा हुआ और उन्हें चार सीटें मिल गयीं और एक सीट निर्दलीय के खाते में चली गयी।
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