200 सांसद नोटबंदी-कालेधन के खिलाफ धरने पर बैठे, क्या चोरों-घोटालेबाजों से भरी पड़ी है संसद?

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नई दिल्ली, 22 नवंबर: आज भारत के लिए बहुत ही दुःख की खबर है क्योंकि आज संसद परिसर में नोटबंदी और कालेधन पर कार्यवाही के खिलाफ 200 संसद इकठ्ठे हुए हैं, 10-20 होते तो चल जाता लेकिन 200 सांसदों को नोटबंदी का विरोध करते देखकर ऐसा लग रहा है कि हमारी संसद भी चोरों-घोटालेबाजों और कालेधन वाले नेताओं से भरी पड़ी है। हालाँकि इस विरोध में बीजेपी का कोई संसद शामिल नहीं है।

बता दें कि कल ही उपचुनावों के नतीजे आये हैं जिसमें कांग्रेस को बुरी हार मिली है जबकि बीजेपी पर जनता पांच सीटें दी थी, उसके बावजूद भी कांग्रेस को अकल नहीं आयी और नोटबंदी पर अपना विरोध जारी रखा है। 

इससे पहले लोकसभा में भी विपक्ष ने एकजुट होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला किया। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) सड़कों पर उतरी, जबकि 10 राजनीतिक दल संसद में विरोध के लिए एकजुट हो गए। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुटकी लेते हुए संसद में उनकी कथित अनुपस्थिति पर सवाल उठाए। नोटबंदी के विरोध में हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही नहीं चल पाई।

राहुल ने पूछा, "प्रधानमंत्री संसद में क्यों नहीं आ रहे? वह क्यों संसद में नहीं आ रहे और मुद्दे पर क्यों नहीं बोल रहे?"

शनिवार को कोल्डप्ले कॉन्सर्ट में मोदी के भाषण का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री टेलीविजन पर बोल सकते हैं, पॉप संगीत कार्यक्रम में बोल सकते हैं, फिर संसद में क्यों नहीं बोल सकते?"

कांग्रेस ने 10 अन्य पार्टियों के साथ मिलकर संसद में महात्मा गांधी की प्रतिमा के निकट आज एक विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने की घोषणा की है, जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), वाम दल, जनता दल (युनाइटेड) शामिल हैं।

इसके अलावा आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर एक विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार सुबह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए सदस्यों से विपक्ष द्वारा नोटबंदी के संबंध में फैलाए जा रहे 'भ्रम' का जवाब देने का अनुरोध किया। 

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि नोटबंदी का फैसला तो काले धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की लड़ाई की शुरुआत भर है और इस तरह की कार्रवाई चलती रहेगी।

नोटबंदी के कदम के खिलाफ आप के सैकड़ों समर्थक सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किया।

जंतर मंतर से संसद की तरफ बढ़ने के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित आप के 50 से अधिक नेताओं को हिरासत में लिया गया, फिर सभी को छोड़ दिया गया।

सिसोदिया ने एक जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, "नोटबंदी से आम आदमी का जीवन तबाह हो गया है, जबकि काले धन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।" दिल्ली के मंत्री गोपाल राय, कपिल मिश्रा तथा सत्येंद्र जैन ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के साथ पहले ही विरोध मार्च में शामिल हो चुकी शिवसेना ने नोटबंदी पर अपने रुख में यू टर्न ले लिया। शिवसेना का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला और नोटबंदी के कदम को एक 'साहसिक व ऐतिहासिक' कदम बताते हुए इसके समर्थन करने का भरोसा दिया। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को विपक्ष की इस मांग को दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्यसभा में नोटबंदी पर होने वाली चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए।

संसद के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, "उन्हें (मोदी) चर्चा सुननी चाहिए।"

वहीं, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने नोटबंदी पर संसद की कार्यवाही बाधित होने का आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाया और दावा किया कि मोदी का दोनों सदनों से बचना संसद की 'अवमानना' है। 

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "यदि चर्चा प्रधानमंत्री की घोषणा पर हो रही है, तो उन्हें चर्चा को सुननी चाहिए। यह प्रधानमंत्री पर निर्भर करता है कि वह एक ही दिन में दोनों सदनों में आएं। लेकिन वह ऐसा नहीं नहीं कर रहे हैं।"
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