जयललिता ने राज्यपाल को कैसे सूचित किया, जब उनसे किसी को मिलने ही नही दिया जा रहा: विपक्ष

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चेन्नई, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)| तमिलनाडु के विपक्ष के नेताओं ने बुधवार को सवाल किया कि तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव को बीमार मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने अपने विभागों को वित्तमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को आवंटित करने की सलाह कैसे दे दी? 

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि जयललिता (68) की सलाह पर उनके मातहत विभागों को पन्नीरासेल्वम को आवंटित कर दिया। 

एक बयान में उन्होंने कहा कि जयललिता पिछले 19 दिनों से अस्पताल में हैं और कई नेता जब उनके मिलने के लिए यहां अपोलो अस्पताल पहुंचे तो उनसे मिलने नहीं दिया गया। 

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल, केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू सहित कई नेताओं को उन्हें यहां जिस अपोलो अस्पताल में भर्ती हैं, वहां जाने पर जयललिता को देखने या मिलने नहीं दिया गया।

ऐसी स्थिति में राजभवन से बुधवार को जारी बयान में जयललिता की सलाह पर उनके विभाग किसी और को देने की बात आश्चर्यजनक है। 

राजभवन से मंगलवार को जारी बयान के अनुसार, राज्यपाल विद्यासागर राव ने संविधान के अनुच्छेद 166 के परिच्छेद-3 के अनुसार अब तक जो विभाग जयलतिलता के पास थे, उन्हें उनकी सलाह पर पन्नीरसेल्वम को आवंटित कर दिया है। 

जयललिता के पास लोक सेवा, भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वन सेवा, समान्य प्रशासन, जिला राजस्व अधिकारी, पुलिस और गृह था। 

बयान में यह भी कहा गया है कि पन्नीरसेल्वम मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता भी करेंगे। 

राजभवन के बयान में कहा गया है, "यह व्यवस्था मुख्यमंत्री की सलाह पर की गई है और वह तब तक यह जिम्मेदारी संभालेंगे जब तक जयललिता अपना दायित्व नहीं संभाल लेतीं। जयललिता मुख्यमंत्री बनी रहेंगी।"

जयललिता को गत 22 सितम्बर को बुखार और शरीर में पानी की कमी होने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था।

बाद में डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें अस्पताल में ज्यादा समय तक रहना होगा क्योंकि वह संक्रमण से पीड़ित हैं और उन्हें सांस लेने में सहायता दी जा रही है। 

चूंकि वह संक्रमणग्रस्त हैं इसलिए किसी भी मिलने वालों को उनके कमरे में जाने की बातचीत की इजाजत नहीं है। 

यह उनसे मिलने जाने वाले विशिष्ट लोगों को अन्नाद्रमुक के नेता और अस्पताल के चिकित्सक कह रहे हैं। 

पीएमके के संस्थापक एस रामदास ने कहा कि अस्पताल से जारी मेडिकल बुलेटिन के आधार पर यह स्पष्ट है कि डॉक्टरों के अलावा किसी को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं है। 

उन्हें सांस लेने में सहायता दी जा रही है यह बात अस्पताल से जारी मेडिकल बुलेटिनों में कही गई है। उन्होंने इस पर आश्चर्य जताया कि किस तरह से उन्होंने ऐसी स्थिति में अपने मातहत विभागों को बदलने के लिए कहा।

मंगलवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एस तिरुनावुक्कारसार ने आईएएनएस को कहा था कि विभागों का पुन: आवंटन एक स्वागत योग्य प्रगति है। उनहोंने कहा कि यह स्थिति ठीक वैसी ही है, जैसी 1984 के अक्टूबर में अन्नाद्रमुक के संस्थापक एम.जी. रामचंद्रन उसी अपोलो अस्पताल में भर्ती हुए थे तब की थी। 

अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता सी. पोनैयम ने आईएएनएस से कहा कि तब एमजीआर के विभाग नेदुनछेजियन को दिए गए थे। उनके अनुसार एमजीआर ने मौखिक तौर पर ही अपने विभाग नेदुनछेजियन को देने के लिए कहा था। 

उन्होंने कहा, "नियमानुसार मुख्यमंत्री मौखिक रूप से अपने मंत्रिमंडल के किसी एक को या उससे अधिक सदस्य को विभागों के संचालन के लिए कह सकते हैं। यह व्यवस्था पूरे देश में प्रचलन में है।"

सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने प्रभारी या अस्थायी मुख्यमंत्री की जरूरत से इनकार किया है। 

पन्नीरसेल्वम पहले मुख्यमंत्री के रूप में काम कर चुके हैं जब जयललिता को बेंगलुरु उच्च न्यायालय से भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी करार दिए जाने के बाद पद छोड़ना पड़ा था। कनार्टक उच्च न्यायालय से आरोप मुक्ति किए जाने के बाद जयललिता फिर मुख्यमंत्री बनीं। 

अधिकारियों को उम्मीद है कि पन्नीरसेल्वम गुरुवार को सचिवालय जाएंगे। 
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