बोडोलैंड के लिए फिर से आंदोलन, भाजपा पर धोखा देने का आरोप

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नई दिल्ली/गुवाहाटी, 19 अक्टूबर: असम में बोडो संगठनों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए पृथक बोडोलैंड राज्य के गठन की मांग के लिए फिर से आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। इन संगठनों ने कहा है कि वे राज्य तथा केंद्र में राज करने वाली भाजपा को बेनकाब करने और अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के समर्थन में 24 अक्टूबर को 12 घंटे का रेल रोको आंदोलन करेंगे। 

ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) और पीपुल्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी फार बोडोलैंड के साथ मिलकर बोडो नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (प्रोग्रसिव) हड़ताल की अगुवाई करेगा।

बोडो संगठनों का कहना है कि बोडोलैंड मुद्दे के हल के लिए भाजपा पर उनका विश्वास करना गलत था। साल 2014 के लोकसभा चुनावों तथा 2016 के विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी से उन्हें केवल झूठा आश्वासन मिला।

असम के सबसे बड़े जनजातीय समुदाय बोडो का कहना है कि भाजपा बोडोलैंड के मुद्दे पर कोई चर्चा करने को भी तैयार नहीं है। बोडो नेताओं का दावा है कि गत एक साल में उन्होंने जब कभी उनसे (भाजपा नेतृत्व) मिलने की कोशिश की तो भाजपा के नेताओं से उन्हें उपेक्षा मिली।

एबीएसयू के अध्यक्ष प्रमोद बोडो ने आईएएनएस से कहा, "साल 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने हम लोगों को आश्वासन दिया था कि भाजपा का समर्थन करने पर बोडो मुद्दा हल होगा। पार्टी ने हमलोगों से झूठा वादा किया था। हथियार छोड़ने वाले बाडो उग्रवादी संगठनों के हजारों सदस्य सोच रहे थे कि बोडोलैंड का उनका सपना भाजपा के शासन में साकार होगा। अब वे तेजी से निराश हो रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि असम की सत्ता में हमारी पार्टी भाजपा की साझीदार है, इसके बावजूद हमें प्रताड़ित किया जा रहा है। भाजपा राज्य में राजनीतिक वर्चस्व का गेम खेल रही है, लेकिन हम बोडोलैंड पाने के लिए सब कुछ करेंगे।

बोडो नेता ने कहा कि उनका समुदाय अपनी संकृति और पहचान की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है।

बोडोलैंड की मांग साल 1967 में शुरू हुई। बोडो सुरक्षा बल के गठन के बाद आंदोलन संघर्ष सशस्त्र संघर्ष में तब्दील हो गया। एक उग्रवादी संगठन ने बाद में अपना नया नाम एनडीएफबी रखा। वर्तमान में एनडीएफबी के दो गुट, गोविंद बसुमतारी के नेतृत्व में एनडीएफबी (पी) और रंजन डेमारी के नेतृत्व में एनडीएफबी हैं जो केंद्र के साथ शांति वार्ता में शामिल हैं। जबकि, सोंगिबजीत आई.के. के नेतृत्व वाला एनडीएफबी (एस) संविधान के दायरे में भारत सरकार के साथ बात करने के खिलाफ है। 

हाल में असम के कोकराझार में 14 नागरिकों की हत्या में सोंगिबिजीत गुट शामिल था।

बोडो संगठन विगत दो वर्षो तक यह सोच कर चुप रहे कि भाजपा अपने वादे के अनुरूप काम करेगी। ये संगठन 24 अक्टूबर को रेल का चक्का जाम करने पर उतारू हैं और अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो और कड़े कदम उठाने की बात कर रहे हैं।

जब पूछा गया कि बोडोलैंड के मुद्दे पर उनका समुदाय विभाजित है, तो प्रमोद बोडो ने कोई मतभेद होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार के पास बोडोलैंड के मुद्दे के हल के लिए समुचित नीति है तो एनडीएफबी (एस) भी वार्ता में शामिल होने को तैयार है।

एनडीएफबी (पी) के महासचिव गोविंद बसुमतारी ने आईएएनएस से कहा कि विगत दो वर्षो में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ तीन बार और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू के साथ उनकी सात से अधिक मुलाकातों के दौरान पृथक राज्य की उनकी मांग पर कोई जवाब नहीं मिला।

शांति वार्ता में शामिल एनडीएफबी के एक अन्य प्रमुख नेता रंजन डेमारी ने पृथक राज्य की मांग को पुनर्जीवित करने के अभियान में शामिल होने से इनकार किया है। उनका मानना है कि ऐसा करने से शांति प्रक्रिया बाधित होगी।
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